Edited By Isha, Updated: 11 Dec, 2019 11:49 AM
हरियाणा ऐसा राज्य बनकर सामने आ रहा है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में हरियाणा ने पंजाब और हिमाचल प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है। नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के आंकड़ों
चंडीगढ़(अर्चना सेठी): हरियाणा ऐसा राज्य बनकर सामने आ रहा है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में हरियाणा ने पंजाब और हिमाचल प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है। नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के आंकड़ों की मानें तो हरियाणा में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की दर 88.7 प्रतिशत आंकी गई है। यह दर हिमाचल और पंजाब में क्रमश 35.7 और 34.1 प्रतिशत है।
ब्यूरो के आंकड़ों अनुसार वर्ष 2017 में हरियाणा में महिलाओं के साथ अपराध के 11370 मामले, वर्ष 2016 में 9839, वर्ष 2015 में 9511 दर्ज किए गए। हिमाचल में वर्ष 2017 में 1246, वर्ष 2016 में 1222, वर्ष 2015 में 1295 मामले दर्ज किए गए जबकि पंजाब में वर्ष 2017 में 4620, वर्ष 2016 में 5105 और वर्ष 2015 में 5340 मामले दर्ज किए गए। यू.टी. वर्ग में दिल्ली और चंडीगढ़ की हालत खस्ता है। दिल्ली में जहां दर 133.3 प्रतिशत है वहीं, चंडीगढ़ में 59.8 प्रतिशत आंकी गई है। आंकड़े यह भी कहते हैं कि बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के साथ हत्या करने वाले राज्यों में भी हरियाणा सबसे खतरनाक राज्य है। वर्ष 2017 में हरियाणा में ऐसे 8, हिमाचल में 7, पंजाब में 4 और दिल्ली में 6 मामले दर्ज किए गए।
हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन के पास भी पहुंच रही हैं शिकायतें
हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन के पास वर्ष 2019 में नवम्बर माह तक महिलाओं से जुड़े अपराध की 153 शिकायतें जबकि बच्चों से जुड़े अपराधों के 32 मामले पहुंचे। महिलाओं से जुड़े अपराध के ज्यादातर मामले बलात्कार से संबंधित हैं। उसके बाद घरेलू ङ्क्षहसा, पति या उसके परिवार के सदस्यों से जुड़े विवाद से संबंधित हैं।
कमीशन के सदस्य दीप भाटिया का कहना है कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध दुर्भाग्यपूर्ण हैं। भारत की संस्कृति सदैव महिलाओं के सम्मान की बात करती है परंतु गिरते नैतिक मूल्यों की वजह से महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कमीशन के पास पहुंचने वाले 70 से 80 प्रतिशत रेप के मामले उससे जुड़े नहीं होते, बल्कि ऐसे होते हैं जिसमें प्रेम प्रसंग या सहमति व लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े होते हैं। परिवार द्वारा रिश्ते की स्वीकृति न मिलने के बाद रेप का केस कर देती हैं। उनका मानना है कि लिव इन रिलेशनशिप लड़कियों को पहले ही स्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह संस्कारों से जुड़ा हुआ नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने जब से दहेज उत्पीडऩ के लिए सास-ससुर को हिरासत में लिए जाने पर रोक लगाई तब से बहुओं ने ससुर पर रेप के तहत मामले दर्ज करवाना शुरू कर दिए थे। जांच में पाया जाता है कि लड़कियां परिवारवालों या वकीलों के कहने में आकर कानून का गलत इस्तेमाल करने लगती है। उनके ऐसा करने से 20 प्रतिशत वो मामले जिनमें हकीकत में लड़कियों के साथ अपराध होता है, सवालों के घेरे में आ जाते हैं। भाटिया ने यह भी कहा कि हरियाणा के कई ऐसे जिले हैं जहां जमीनी विवाद के चलते जब कुछ नहीं कर पाते तो एक-दूसरे पर लड़कियों के छेड़छाड़ या यौन उत्पीडऩ से जुड़ी शिकायतें दर्ज करवा देते हैं। इनमें मेवात का नाम सबसे ऊपर है।