Edited By Isha, Updated: 08 Mar, 2020 01:50 PM
हर खिलाड़ी के माता-पिता का सपना होता है कि उसका बेटा या बेटी देश की झोली में पदक डालकर नाम रोशन करे लेकिन कई बार परिवार की माली हालत होने के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाता....
हिसार (महेंद्र) : हर खिलाड़ी के माता-पिता का सपना होता है कि उसका बेटा या बेटी देश की झोली में पदक डालकर नाम रोशन करे लेकिन कई बार परिवार की माली हालत होने के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाता है।
ऐसे ही एक मामले में मां निर्मला देवी ने हिम्मत नहीं हारी और दूसरों के खेतों में मजदूरी कर बेटी को पहलवान बना दिया। अब बेटी दीप सिन्हा का सपना नैशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल हासिल करना है। वहीं दीप सिन्हा सीनियर स्टेट प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीत चुकी है।
यूं मिली कुश्ती खेलने की प्रेरणा
पहलवान दीप सिन्हा ने बताया कि जब वह 9वीं कक्षा में पढ़ती थी तो गांव के सरकारी स्कूल में ताईक्वांडो खेलती थी। उस समय स्कूल में प्रैक्टिस के लिए कैम्प भी लगता था मगर जब गांव की ही बेटी पुष्पा कुश्ती में पदक जीतने लगी तो दीप सिन्हा के पिता जयबीर सिंह ने भी अपनी बेटी को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने शुरू कर दिए।
गांव बुगाना की रहने वाली पहलवान दीप सिन्हा कुश्ती की प्रैक्टिस करने के लिए रोजाना 20 किलोमीटर का साइकिल पर सफर तय करती है। वह बहबलपुर में कोच रामनिवास यादव की देखरेख में पिछले कई सालों से कुश्ती का प्रशिक्षण ले रही है। वह दिन में 2 बार सुबह-शाम साइकिल पर बहबलपुर जाती है। दीप सिन्हा के परिवार में माता-पिता के अलावा 2 बहनें और 2 भाई हैं।
नैशनल में गोल्ड मैडल लाना लक्ष्य
पहलवान दीप सिन्हा ने बताया कि उसका सपना नैशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक पर कब्जा करना है। इसके लिए वह सुबह-शाम कुश्ती का दांव-पेंच सीख रही है। दीप सिन्हा ने बताया कि वह रोजाना 4-5 घंटे कोच रामनिवास यादव के पास कुश्ती का अभ्यास कर रही है। वहीं दीप सिन्हा हिसार के एफ.सी. कालेज में बी.ए. की छात्रा है। दीप सिन्हा के पिता भी मजदूरी करते हैं।