दो पूर्व JNU छात्र नेताओं के बीच हो सकता है सिरसा लोकसभा चुनाव घमासान, प्रदीप नरवाल को कांग्रेस द्वारा उतारने की चर्चाएं तेज

Edited By Nitish Jamwal, Updated: 20 Mar, 2024 05:47 PM

lok sabha elections may be held between two former jnu student leaders

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ग़ांधी की कोर कमेटी के सदस्य प्रदीप नरवाल जो फिलहाल राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव पद की बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, पूर्व में जेएनयू के बेहद ऊर्जावान छात्र नेता रह चुके हैं को सिरसा से भाजपा उम्मीदवार अशोक...

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ग़ांधी की कोर कमेटी के सदस्य प्रदीप नरवाल जो फिलहाल राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव पद की बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, पूर्व में जेएनयू के बेहद ऊर्जावान छात्र नेता रह चुके हैं को सिरसा से भाजपा उम्मीदवार अशोक तंवर के मुकाबले चुनाव मैदान में उतारने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ तो यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा, क्योंकि पूर्व में अशोक तंवर भी जेएनयू के छात्र नेता रह चुके हैं। प्रदीप नरवाल राष्ट्रीय कांग्रेस की राजनीति में प्रियंका वाड्रा ग़ांधी के अत्यंत विश्वास पात्र लोगों में से एक माने जाते हैं। कांग्रेस की राजनीति में दलित चेहरे के रूप में प्रदीप नरवाल की बड़ी पहचान है। उन्होंने ''भारत जोड़ो यात्रा" के दौरान राहुल गांधी के साथ लगातार लंबा सफर तय करने का दायित्व भी बखूबी निभाया था। छात्रसंघ की राजनीति जेएनयू से शुरू कर कांग्रेस में गांधी परिवार में अपनी पैठ बनाने वाले प्रदीप नरवाल एक साधारण दलित परिवार से हैं।ग़ांधी परिवार की निकटता के कारण राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी, सह प्रभारी- उत्तर प्रदेश व प्रियंका गांधी के सचिव के रूप में यूपी के सह-प्रभारी भी हैं।  

आज के दौर में प्रदीप नरवाल हरियाणा की उन राजनीतिक हस्तियों में शामिल हैं जिन्होंने अपने दम पर राष्ट्रीय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व गांधी परिवार तक अपना सीधा रुतबा कायम किया है। हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा, राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा व किरण चौधरी की सीधी पहुंच गांधी परिवार में रही है। राजनीतिक रूप से प्रदीप नरवाल की उंगली पकड़कर उनको आगे बढ़ाने वाला कोई सहारा उन्हें राजनीति में नहीं मिला। राहुल गांधी की ''भारत जोड़ो यात्रा" में पश्चिमी यूपी तथा हरियाणा के कई क्षेत्रों में उनके साथ नजर आने वाले प्रदीप नरवाल का राजनीतिक व्यक्तित्व उनकी कड़ी मेहनत तथा जेएनयू में छात्र राजनीति के तहत मिले राजनीतिक पृष्ठभूमि से आगे बढ़ा है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के द्वारा "भारत जोड़ो यात्रा" के दौरान हरियाणा से संबंधित प्रदीप नरवाल पूरी यात्रा के दौरान साए की तरह उनके साथ चल रहे थे। प्रदीप नरवाल मूल रूप से हरियाणा से संबंध रखते है। अतीत में प्रदीप नरवाल जेएनयू के छात्र नेता रहे। लगभग 5 साल पहले प्रदीप नरवाल ने राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। प्रदीप नरवाल वर्तमान में राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की कोर कमेटी के सदस्य भी हैं। इसीलिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस संगठन ने सचिव पद भी नवाजा हुआ है। गांधी परिवार में जिस प्रकार से प्रदीप नरवाल का विश्वास व कद दिन भर दिन बढ़ रहा है, वह हरियाणा के ऐसे कई नेताओं के लिए तकलीफ देह हो सकता है जो कई दशकों से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं। राहुल गांधी द्वारा "भारत जोडो यात्रा" के दौरान प्रदीप नरवाल पर पूरा भरोसा जिस कदर रखा जा रहा है उससे प्रदीप नरवाल का बढ़ता राजनीतिक कद कांग्रेस की राजनीति में सबको नजर आ रहा है। प्रदीप नरवाल हरियाणा के सोनीपत ज़िलें के कथुरा गांव के रहने वाले है। इनकी छवि हमेशा से अंबेडकरवादी दलित नेता की रही है, मध्यम परिवार में जन्में प्रदीप नरवाल का जीवन संघर्ष भरा रहा है। इससे पहले प्रदीप नरवाल हरियाणा कांग्रेस में अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके है, उसके बाद इन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग में राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर व उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति विभाग के प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया था। 

इनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष को देखते हुए आज कांग्रेस पार्टी ने इन्हें राष्ट्रीय सचिव के पद पर नियुक्त किया है। साथ ही कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के साथ उत्तर प्रदेश का सह प्रभारी भी बनाया गया है। प्रदीप नरवाल सबसे कम 30 साल की उम्र में राष्ट्रीय सचिव बने हैं। प्रदीप नरवाल हरियाणा में दलित आंदोलन से बड़े लंबे समय से जुड़े हुए थे। इस उम्र में इस मुकाम में पहुंचना अपने आप में कांग्रेस पार्टी की राजनीति में बड़ा संकेत है। 

ऐसे में अगर प्रदीप नरवाल सिरसा से कांग्रेस के उम्मीदवार होते हैं तो यह तो साफ है कि अशोक तंवर के मुकाबले में यह एक ताकतवर प्रतिद्वंदी साबित होंगे। क्योंकि अशोक तंवर का पिछला राजनीतिक सफर कई दलों से जुड़ा रहा है। थोड़े-थोड़े समय के बाद उनके द्वारा दल बदलने से जनता में एक गलत मैसेज गया है। फिर एकाएक भाजपा में एंट्री और फिर एकदम से लोकसभा की टिकट मिलना भी जनता को शायद ज्यादा रास ना आए। प्रदीप नरवाल जिन्होंने मात्र 5 साल के कांग्रेस के साथ सफर के दौरान राष्ट्रीय बॉडी में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया साथ ही वह आज गांधी परिवार में मजबूत पकड़ बना चुके हैं इन बातों से यह तो साफ है कि वह एक परिपक्व राजनीतिज्ञ हैं। अगर वह कांग्रेस की टिकट पर सिरसा से चुनाव मैदान में उतरे तो अशोक तंवर के लिए जीत की राह इतनी आसान नहीं होगी।

 

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