Edited By Shivam, Updated: 12 Mar, 2019 12:02 PM
इनैलो-बसपा समझौता टूटने के बाद से लगातार यह चर्चाएं चल रही हैं कि भाजपा-इनैलो के बीच समझौता हो सकता है लेकि...
चंडीगढ़ (बंसल): इनैलो-बसपा समझौता टूटने के बाद से लगातार यह चर्चाएं चल रही हैं कि भाजपा-इनैलो के बीच समझौता हो सकता है लेकिन भाजपा नेता यह दावा करते आ रहे हैं कि वह अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम हैं।
पिछले दिनों दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा इनैलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा के बीच काफी देर बात हुई। इस मुलाकात के बाद यह चर्चा चली कि इनैलो में बिखराव के चलते अरोड़ा भाजपा का दामन थामने की तैयारी में हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस मुलाकात के दौरान दोनों दलों के बीच समझौते की बात हुई है। चौटाला परिवार में बिखराव और उसके बाद इनैलो का कुनबा छोटा होना, बसपा से गठबंधन का टूटना, ऐसे हालात में नया गठबंधन होने की ओर संकेत दे रहा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बरकरार रहना भी उपरोक्त तथ्य को बल प्रदान करता है। हालांकि अरोड़ा ने कहा कि यह तो महज एक शिष्टाचार मुलाकात थी लेकिन प्रदेश के राजनीतिक हालात को देखकर अरोड़ा की यह बात किसी के गले नहीं उतरती कि मुख्यमंत्री ने महज उन्हें चाय पीने के लिए बुलाया हो।
अरोड़ा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी अच्छे रिश्ते हैं लेकिन रिश्तों के बावजूद 2 विरोधी दलों के नेताओं का चाय पीना राजनीति में चर्चाएं पैदा करने के लिए काफी है। सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी तथा बसपा के बीच समझौते के बाद सभी राजनीतिक दल अपना-अपना जातीय गणित बिठा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा-इनैलो गठबंधन बनने की स्थिति में विरोधी दल कांग्रेस, जजपा तथा आम आदमी पार्टी आपस में हाथ मिला सकते हैं। जजपा तथा ‘आप’ के बीच गठबंधन की संभावना तो आज भी बरकरार है तो ऐसे में कुछ भी नया गुल खिल सकता है।