हुड्डा सरकार के भूमि सुधार कानून पर लगी हाई कोर्ट की मुहर, विभिन्न वर्गों को मिला जमीन का मालिकाना हक: नीरज शर्मा

Edited By Isha, Updated: 26 Mar, 2024 02:46 PM

high court approves hooda government s land reform law

हरियाणा के ब्राह्मण, ओबीसी और एससी समाज ने भूमि सुधार कानून के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हाई कोर्ट का आभार व्यक्त किया है। क्योंकि हुड्डा सरकार के बनाए कानून को हाईकोर्ट ने पूरी तरह संवैधानिक करार देते हुए इसकी...

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी):  हरियाणा के ब्राह्मण, ओबीसी और एससी समाज ने भूमि सुधार कानून के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हाई कोर्ट का आभार व्यक्त किया है। क्योंकि हुड्डा सरकार के बनाए कानून को हाईकोर्ट ने पूरी तरह संवैधानिक करार देते हुए इसकी सराहनी की है। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में विभिन्न वर्गों को भूमि का मालिकाना हक देने के लिए हुड्डा सरकार में तत्कालीन मंत्री स्व: शिव चरण लाल शर्मा पूर्व राजस्व मंत्री ने दोहलीदार, बूटीमार, भोंडेमार और मुकरारीदार अधिनियम 2010 लागू किया था। इसका मकसद बरसों पहले अलग-अलग गांवों में अन्य स्थान से आकर बसे उन वर्गों को जमीन का मालिकाना हक देना था, जिन्हें पंचायतों व अन्य किसी ने जमीन दान में दी थी।

लाभार्थियों में ब्राह्मण, पुरोहित, पुजारी, जांगड़ा ब्राह्मण, नाई, प्रजापत, लौहार, वाल्मिकी, धानक, गोस्वामी, स्वामी, बड़बुजा, धोबी, तेली अन्य कारीगर वर्गों शामिल थे। बरसों से दान में ली गई जमीन पर रहने, बसने व खेती करने के बावजूद इन वर्गों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया था। इसलिए ना वो इस जमीन को आगे बेच सकते थे और ना ही किसी तरह का लोन ले सकते थे। इसके चलते हुड्डा सरकार ने कानून बनाकर उन्हें मालिकाना हक देने का फैसला लिया। 

लेकिन 2018 में बीजेपी सरकार ने हुड्डा सरकार के कानून को निरस्त कर दिया। कांग्रेस ने इस मुद्दे को बार-बार विधानसभा में भी उठाया। लेकिन बहुमत के जोर पर बीजेपी ने 2010 के कानून में संशोधन करके लाभार्थियों से जमीन वापिस लेने का कानून पास कर दिया। बीजेपी ने लाभार्थियों से जमीन खाली करवाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। इसके बाद ये पूरा मामला कोर्ट पहुंच गया। आखिरकार माननीय न्यायालय ने ना सिर्फ हुड्डा सरकार द्वारा बनाए गए कानून को वैधानिक करार दिया है बल्कि इसकी प्रशंसा भी की है। कोर्ट ने कहा कि कृषि सुधारों का उत्कृष्ट संवैधानिक उद्देश्य इस कानून के माध्यम से प्राप्त हुआ है। इस कानून ने कृषि सामंतवाद की प्रथा को समाप्त किया। यह आवश्यक रूप से एक प्रशंसनीय कृषि सुधार कानून है। 

होईकोर्ट के फैसले से ब्राह्मण, ओबीसी, एससी समेत तमाम लाभार्थी वर्गों में खुशी की लहर है। नीरज शर्मा का कहना है कोर्ट के फैसले से बीजेपी की साजिश विफल हो गई है। बीजेपी कभी भी गरीब व वंचित वर्गों को जमीन का हक देने की पक्षधर नहीं रही। इसलिए उसने हुड्डा सरकार के भूमि सुधार कानून का भी विरोध किया और 100-100 गज के मुफ्त प्लॉट आवंटन की योजना को भी बंद किया। बीजेपी नहीं चाहती कि किसी ग़रीब, दलित व पिछड़े के पास जमीन का कोई मालिकाना हक हो। आने वाले चुनाव में सर्वसमाज, बीजेपी को वोट की चोट से सबक सिखाने का काम करेगा।

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