हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्रियों में छिड़ा वाक युद्ध लोकतंत्र की दृष्टि से अच्छी बात नहीं : ज्ञानचंद

Edited By Isha, Updated: 03 Dec, 2020 12:34 PM

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किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों में छिड़े वाक युद्ध को लेकर हरियाणा के विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने टिप्पणी की है की यह स्थिति अच्छी नहीं है। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी सीमा मेंं रहकर ही एक दूसरेेेे के बारे में...

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों में छिड़े वाक युद्ध को लेकर हरियाणा के विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने टिप्पणी की है की यह स्थिति अच्छी नहीं है। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी सीमा मेंं रहकर ही एक दूसरेेेे के बारे में शब्दों का चयन करना चाहिए। अपनी सीमा में रहकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एस.वाई.एल. मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मुख्यमंत्रियों को बैठ कर समस्या का समाधान करने के लिए बोला था। लेकिन जिस प्रकार की परिस्थितियां पैदा हुई है। उससे यह चर्चा फिलहाल संभव नहींं है। लेकिन इतना तय है कि टेबल पर बैठकर ही इसका समाधान निकलेगा। उन्होंने किसानों के आंदोलन पर भी कहा है कि आंदोलन किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। जैसा कि देश केे गृह मंत्री और कृषि मंत्री ने किसान नेतााओं से टेबल पर आने के लिए आग्रह किया है। उन्हें बठकर इस मामले का वार्तालाप करना चाहिए।ज्ञान चंद गुप्ता नेे यह बात पंजाब केसरी से गुजरात में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के बारे मेंं चर्चा केेे दौरान कही।

गुप्ता ने बताया कि यह दो दिवसीय सम्मेलन उस जगह आयोजित हुआ, जहां सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा की स्थापना की गई है और बहुत ही रमणीक स्थान है। पिछले एक डेढ़ साल में जितना वहां निर्माण हुआ, विकास किया गया, यह बहुत ही शानदार रहा। यह आयोजन टेंट सिटी में आयोजित किया गया। जहां पर देश के महामहिम राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और माननीय उपराष्ट्रपति जी के ठहरने की भी व्यवस्था टैंटों में की गई थी। यह एक बेहतरीन अनुभव था। इस दो दिवसीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल संबोधित किया। इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल भी उपस्थित रहे। इस आयोजन की जिम्मेदारी माननीय लोकसभा स्पीकर ओम बिरला जी ने निभाई।

उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 5 प्रस्ताव पारित किए गए। जो कि आने वाले समय में बहुत लाभदायक साबित होने वाले हैं। इसमें संविधान के तीनों अंगों को अपनी अपनी सीमाओं के अंदर रहकर सहयोग, सामंजस्य और समन्वय की भावना से कार्य करने का प्रस्ताव पारित किया गया। यह शताब्दी वर्ष है। इससे पहले पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन 1921 में हुआ था और अब 2021 शुरू होने वाला है। इस प्रकार के लोकतंत्र के उत्सव पूरे देश में 4 जॉन पूर्वी जोन, पश्चिमी जोन, उत्तरी जोन और दक्षिणी जोन बना कर आयोजित किए जाएंगे। जिसमें पूरे देश में बेस्ट स्पीकर अवार्ड भी शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस 2 दिन से चर्चा के बाद यह महसूस किया गया की सारा बजट पास करने वाली विधानसभा के पास अपने वित्तीय अधिकार नहीं है। इसमें पास किया गया कि विधानसभा का जो बजट पास किया जाता है वह विधानसभा के पास रहना चाहिए। इसके अलावा   इन सम्मेलनों के माध्यम से जनता को लोकतंत्र के विभिन्न आयामों से अवगत करवाया जाए, यह भी पास किया गया। इसके अतिरिक्त संविधान और मौलिक कर्तव्यों के विषयों पर एक संकल्प पारित किया गया कि हम लोगों को संविधान के प्रति उनके कर्तव्यों को जागरूक करें। इसके साथ ही एक संकल्प पारित किया गया कि  संविधान में सदैव जनता को केंद्र में रखा है। राज्य का प्रत्येक अंग किसी न किसी रूप से लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। तो इस दृष्टि से तीनों अंगों को अपनी सीमाओं में रहकर कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

इस मौके पर ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि जिस जगह इस प्रकार का आयोजन हुआ वहां आयुष की दृष्टि से भी बहुत अच्छा काम किया गया है। यहां योगा के लिए तो एक स्थान विकसित किया ही गया है साथ ही वह सभी प्रकार की औषधियां जिसका प्रयोग तथ्य दिन आम तौर पर दैनिक जीवन में चाहे स्वास्थ्य की दृष्टि से हो, मुंह के स्वाद की दृष्टि से हो, पेट के लिए, दिमाग के लिए हो सभी प्रकार की जड़ी बूटियों का आरोग्य वन वहां पर विकसित किया गया है।

 

 

 

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