SYL मुद्दे पर सवाल खड़े होते ही अभय चौटाला ने कुछ इस अंदाज में दिया जवाब

Edited By Updated: 19 Nov, 2016 12:28 PM

haryana  syl  abhay chautala

एस.वाई.एल. मुद्दे ने जहां पंजाब व हरियाणा को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है, वहीं राजनीतिक उठापटक भी जारी है।

चंडीगढ़: एस.वाई.एल. मुद्दे ने जहां पंजाब व हरियाणा को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है, वहीं राजनीतिक उठापटक भी जारी है। इसी उठापटक में बादल और चौटाला परिवार के राजनीतिक संबंध टूट गए हैं। हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और विधायक अभय सिंह चौटाला ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स से बातचीत में इसके संकेत दिए और कहा कि बादल परिवार से राजनीतिक रिश्ते टूटे हैं पर दिल के नहीं, दोस्ती बनी रहेगी। अभय ने कहा कि वह पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में शिअद के प्रचार के लिए नहीं जाएंगे।

उन्होंने कहा कि एस.वाई.एल. निर्माण मामले में पंजाब अगर ऐसे ही मनमाने फैसले लेता रहा तो एक दिन देश का संघीय ढांचा टूटकर रह जाएगा। सभी राज्यों के अपने-अपने हित हैं, लेकिन राज्य हितों की पूॢत के लिए संविधान के विपरीत नहीं चल सकते। इस मामले में कांग्रेस व भाजपा केवल राजनीतिक ड्रामेबाजी कर रही हैं। एस.वाई.एल. का निर्माण हरियाणा की जीवन रेखा है और इसके निर्माण के लिए इनैलो कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है। 

जय व वीरू की दोस्ती नहीं टूटेगी 
सवाल: ‘शोले’ फिल्म के जय और वीरू की तरह बादल तथा देवी लाल परिवार की दोस्ती जगजाहिर है। एस.वाई.एल. निर्माण के मुद्दे पर क्या यह दोस्ती खत्म हो जाएगी?

जवाब: पारिवारिक संबंध और राजनीतिक संबंध अलग-अलग हैं। यह संबंध चौथी पीढ़ी से चले आ रहे हैं। राजनीतिक संबंध टूटे हैं, पारिवारिक संबंध नहीं। जय और वीरू की दोस्ती कभी खत्म नहीं हो सकती। विचार न मिलना अलग बात है और  संबंध होना अलग बात है। 

सवाल: अकाली दल और इनैलो गठबंधन के तहत चुनाव लड़ते रहे हैं और दोनों दलों के नेता चुनाव में एक-दूसरे की मदद के लिए प्रचार के लिए भी जाते रहे हैं, क्या अब भी यह गठबंधन बना रहेगा?

जवाब: यह ठीक है, पहले चुनावों में दोनों दलों का गठबंधन था और प्रदेश में अकाली दल ने इनैलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें अकाली दल के एक प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। अकाली दल की सरकार ने जब हरियाणा को एक भी बूंद पानी नहीं देने की बात कही तो प्रदेश हित को देखते हुए यह गठबंधन तोड़ दिया गया। हम अब एक साथ नहीं चल सकते। 

सवाल: पंजाब के चुनाव जल्द होने जा रहे हंै, पारिवारिक रिश्तों के चलते क्या पंजाब में अकाली दल के प्रत्याशियों की मदद के लिए प्रचार करने जाएंगे?

जवाब: प्रचार के लिए कैसे जा सकते हैं, वह हमें गालियां दे रहे हैं। हम चुनाव में किसी की भी मदद नहीं करेंगे। भाजपा तथा कांग्रेस के नेताओं से पूछा जाए कि वह क्या करेंगे, क्योंकि उनके लिए प्रदेश हित से ज्यादा राजनीतिक हित महत्वपूर्ण हैं। भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री पंजाब चुनाव में सहप्रभारी हैं। उनका इशारा वित्त मंत्री कै. अभिमन्यु की तरफ था। यह दोगली राजनीति नहीं है तो और क्या है? कांग्रेस की स्थिति भी भाजपा नेताओं जैसी ही है। 

सवाल: इनैलो ने 23 फरवरी को नहर खोदने का ऐलान किया। अभी क्यों नहीं, ऐसा नहीं लगता कि पंजाब में चुनाव को देखते हुए जानबूझकर यह फैसला लिया गया?

जवाब: कोई भी फैसला एकदम नहीं लिया जा सकता। 23 फरवरी से पहले हरियाणा के गांवों में जाकर लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक किया जाएगा। केंद्र को समय दिया गया है कि इस मामले में वह क्या कदम उठाता है। नहर निर्माण की जिम्मेदारी तो केंद्र सरकार की है।

सवाल: हरियाणा में हुड्डा व भाजपा के पहले 2 साल के कार्यकाल में कौन ज्यादा ठीक रहा है?

जवाब: कांग्रेस व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हरियाणा पिछड़ता ही गया है। हुड्डा सरकार में प्रदेश को दोनों हाथों से लूटा गया, जबकि भाजपा सरकार ने 2 वर्षों में प्रदेश को बर्बाद करके रख दिया। भाजपा सरकार में धान घोटाले में किसानों को नमी बताकर 200 से 250 रुपए कम दिए गए और बिल पूरे रेट के। भाजपा कोई भी वायदा पूरा नहीं कर पाई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते हंै एक वर्ष तो सीखने में लग गया और दूसरा वर्ष नीतियां बनाने में । भाजपा नेता भाषण में युवाओं को देश का भविष्य बताते हैं, लेकिन व्यवहार उनके साथ श्रमिक जैसा करते हैं। मुख्यमंत्री का यह कहना कि 100 दिन काम के बदले पैसे दिए जाएंगे, बेरोजगार युवाओं को श्रमिक की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है। 

सवाल: विधानसभा में कई मुद्दे उठाए, क्या वह मामले आपकी अपेक्षाओं पर खरे उतर पाए हैं?

जवाब: विधानसभा में प्रदेश हित के काफी मुद्दे रखे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने उत्तर में किसी का भी सही जवाब नहीं दिया। मुख्यमंत्री अपने जवाब में गोल-मोल बातें करके छुटकारा पा लेते हैं। मैंने हर बात साक्ष्यों के साथ रखी, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंंगी। 

सवाल: 500-1000 रुपए के नोट बंद करने का फैसला कितना सही है और क्या इस फैसले से काला धन बाहर आएगा?

जवाब: केंद्र सरकार का यह फैसला बिल्कुल गलत है कि एकदम से 500-1000 रुपए के नोट बंद कर दिए। शादियों का सीजन चल रहा है, लोग अधिकांश खरीदारी कैश में करते हैं, ऐसे में वह कहां जाएं। अगर सरकार ने फैसला लेना था तो लोगों को पहले जागरूक करना चाहिए था। इस फैसले से काले धन पर कोई रोक नहीं लगने वाली, आम लोगोंं को परेशानी झेलनी पड़ेगी। 

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