50 गांवों के किसान 28 अक्टूबर से इस टोल प्लाजा पर करेंगे कब्जा

Edited By vinod kumar, Updated: 19 Oct, 2020 06:01 PM

farmers from 50 villages will occupy toll plazas from october 28

नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब के किसानों की तरह अब हरियाणा के किसान भी टोल प्लाजा पर आंदोलन करेंगे। आज डबवाली क्षेत्र के किसानों ने बैठक कर आगामी 28 अक्टूबर से नेशनल हाईवे नं.9 डबवाली-सिरसा रोड पर स्थित खुइयांमलकाना टोल प्लाजा को बंद करने का...

डबवाली (संदीप कुमार): नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब के किसानों की तरह अब हरियाणा के किसान भी टोल प्लाजा पर आंदोलन करेंगे। आज डबवाली क्षेत्र के किसानों ने बैठक कर आगामी 28 अक्टूबर से नेशनल हाईवे नं.9 डबवाली-सिरसा रोड पर स्थित खुइयांमलकाना टोल प्लाजा को बंद करने का एलान कर दिया है। टोल प्लाजा पर होने वाले इस धरने में क्षेत्र के करीब 50 गांवों के किसान शामिल होंगे। 

किसानों ने ऐलान किया है कि इस टोल प्लाजा से बिना टोल टैक्स के वाहनों को निकाला जाएगा। आज दोपहर को गांव चोरमार के गुरूद्वारा में डबवाली क्षेत्र के विभिन्न गांवों से किसान एकत्रित हुए। यहां किसानों ने कहा कि बीते करीब 15 दिन पहले खुइयांमलकाना टोल प्लाजा रोकने को लेकर कुछ किसान साथियों ने मुहिम शुरू की थी। बैठक के दौरान किसानों ने कहा कि गांव-गांव जाकर किसानों की एक टीम ने खुइयांमलकाना टोल प्लाजा रोके जाने को लेकर विभिन्न गांवों के किसानों की राय जानी थी। 

किसानों ने कहा कि डबवाली क्षेत्र के सभी गांवों के किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में टोल प्लाजा पर आंदोलन शुरू करने पर अपनी सहमति जता दी है। अब सभी किसानों से विचार-विमर्श करने के बाद आगामी 28 अक्टूबर से खुइयांमलकाना टोल प्लाजा से अनिश्चितकालिन आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया है। 28 अक्टूबर को डबवाली के करीब 50 गांवों के किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रालियां लेकर खुइयांमलकाना टोल प्लाजा पर कब्जा करने पहुंचेंगे। जिसके बाद टोल से वाहनों को बिना टोल टैक्स चुकाए निकाला जाएगा। टोल प्लाजा को किसान अपने कब्जे में लेंगे।

गांव-गांव में चलाया जाएगा अभियान
चोरमार गांव के गुरूद्वारा में हुई बैठक में उपस्थित किसानों ने कहा कि खुइयांमलकाना टोल प्लाजा पर आंदोलन शुरू करने को लेकर गांव-गांव जाकर किसानों को आंदोलन में आने का निमंत्रण दिया जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि टोल प्लाजा पर डबवाली क्षेत्र के गांवों से बड़ी संख्या में किसान हिस्सा लेंगे। बैठक में कहा गया कि अगर कृषि कानून सरकार वापिस नहीं लेती है तो किसानों का संघर्ष भी अनिश्चितकालिन समय तक के लिए जारी रहेगा। किसान नेताओं ने कहा कि नए कृषि कानून किसान को धन्ना सेठों का गुलाम बना देंगे। ऐसे में किसान कभी भी इन नए कृषि कानूनों का स्वीकार नहीं करेगा।

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