लापरवाही : PGI पर फिर उठे सवाल, डॉक्टर बोले- यहां स्टंट नहीं डलता, ले जाओ प्राइवेट अस्पताल

Edited By vinod kumar, Updated: 25 Dec, 2019 01:16 PM

doctor said do not put stunts here take private hospital

प्रदेश के एकमात्र स्वास्थ्य संस्थान पी.जी.आई.एम.एस. में इलाज के  दौरान लापरवाही तो आम बात है। अब ये हालात हो गए हैं इलाज हीं नहीं करना, मरीज को निजी अस्पताल में भेज कर मोटा कमीशन खाओ। इस तरह के आरोप मंगलवार को भी लगे। पी.जी.आई.एम.एस. के वार्ड 25 में...

रोहतक(स.ह.): प्रदेश के एकमात्र स्वास्थ्य संस्थान पी.जी.आई.एम.एस. में इलाज के  दौरान लापरवाही तो आम बात है। अब ये हालात हो गए हैं इलाज हीं नहीं करना, मरीज को निजी अस्पताल में भेज कर मोटा कमीशन खाओ। इस तरह के आरोप मंगलवार को भी लगे। पी.जी.आई.एम.एस. के वार्ड 25 में आने वाले दिल के मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने का खुलासा हुआ। हार्ट के मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई।

मृतक के परिजनों ने पी.जी.आई. के निदेशक को शिकायत सौंपते हए आरोपी चिकित्सक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मिली जानकारी के  मुताबिक मामले में गृह-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा मामले में हैल्थ यूनिवॢसटी के कुलपति से जवाब मांगा तो कुलपति ने पी.जी.आई. के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाते हुए मरीजों को उचित उपचार और आरोपी चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। 

पी.जी.आई.एम.एस. की श्याम लाल बिल्डिंग में जून माह के अंत में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने दिल के मरीजों को राहत देने के लिए करीब 6 करोड़ की लागत से बनी कैथ लैब का शुभारंभ किया था। कैथ लैब शुरू होने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि दिल के मरीजों को निजी अस्पतालों में मोटी रकम देकर इलाज करवाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा लेकिन स्थिति में अधिक सुधार नहीं हुआ। काॢडयोलॉजी विभाग में कैथ लैब बनने के बाद पी.जी.आई. प्रबंधन को दिल के मरीजों को सीधे विभाग में भेजना चाहिए था। इसके बाद भी मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा जा रहा है।

वी.सी. ने लगाई अधिकारियों को फटकार 
मरीज को प्राइवेट अस्पताल में भेजने पर गृह-स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हैल्थ यूनिवॢसटी के कुलपति से जवाब-तलब किया है। वी.सी. ने पी.जी.आई. के जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाते हुए मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, पीड़ित की शिकायत पर निदेशक ने बृहस्पतिवार को उन्हें बुलाया है। 

यह था मामला
गांव बोहर निवासी दीपक पुत्र राजेंद्र कौशिक निवासी गांव बोहर ने पी.जी.आई. निदेशक को शिकायत दी है कि 14 दिसम्बर की रात करीब एक बजे अपने छोटे भाई राहुल को लेकर एमरजैंसी पहुंचे थे। इसके बाद चिकित्सकों ने उपचार करते हुए वार्ड 25 में भेज दिया। वार्ड में चिकित्सकों ने बताया कि मेजर हार्ट अटैक हुआ है, जिसके लिए इंजैक्शन लगवाना पड़ेगा और यदि इंजैक्शन से भी फायदा नहीं हुआ तो स्टंट डालने होंगे।

दीपक ने आरोप लगाया कि चिकित्सकों ने साफ शब्दों में कहा कि पी.जी.आई. में स्टंट डालने की सुविधा नहीं है। ऐसे में मरीज को निजी अस्पताल में लेकर जाना अनिवार्य है। मरीज को ले जाने से पहले चिकित्सकों ने लिखवा लिया कि वह अपनी मर्जी से निजी अस्पताल जा रहे हैं। जिसके बाद वह मरीज को लेकर निजी अस्पताल चले गए। बताया गया है कि निजी अस्पताल में स्टंट डालने की आवश्यकता तो नहीं पड़ी लेकिन चिकित्सकों ने करीब 85 हजार रुपए का बिल बना दिया। 

डा. ओ.पी. कालरा, वी.सी., पं. भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने कहा कि कुछ मरीजों को पी.जी.आई. से बाहर भेजने की शिकायत मिली है। मामले में निदेशक को आरोपी चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, यदि शीघ्र ही कार्रवाई नहीं की गई तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए सरकार को लिखा जाएगा। 

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