इंजीनियर बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि

Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Jul, 2017 03:21 PM

daughter funeral his father

आज के समय में बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। बेटियां हर क्षेत्र में लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। बेटियां बेटों की तरह अपना फर्ज निभा

झज्जर:आज के समय में बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। बेटियां हर क्षेत्र में लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। बेटियां बेटों की तरह अपना फर्ज निभा रही हैं। इसी तरह झज्जर में इंजीनियर बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर बेटे की तरह अपना फर्ज निभाया। 
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जानकारी के अनुसार झज्‍जर के 48 वर्षीय राजू मेहता लंबे समय से बीमार थे और करीब एक वर्ष से तो वह ठीक ढंग से चल भी नहीं पाते थे। उनकी एक ही बेटी है मनीषा। मनीषा को उन्होंने बेटे समझा और पढ़ाया-लिखाया। बीमारी के दौरान भी वह कहते थे कि मेरी मोना मेरी बेटी और बेटा दोनों है। वह मनीषा को माेना नाम से बुलाते थे। मनीषा इंजीनियर हैं और गुरुग्राम में कार्यरत हैं।
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राजू मेहता का आखिरी समय आया तो परिवार के भाई-भतीजे सभी मौजूद थे। उनके निधन के बाद अंतिम संस्‍कार का प्रश्‍न उठा तो किसी ने भतीजे द्वारा यह जिम्‍मेदारी पूरी करने की बात की, लेकिन मनीषा अागे आईं और पिता को मुखाग्नि देने की बात कही। परिजनों ने भी उनका समर्थन किया।
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इसके बाद मनीषा ने हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक़ पिता के अंतिम संस्‍कार के क्रिया कर्म निभाए और मुखाग्नि दी। झज्‍जर सहित पूरे इलाके में इस तरह की यह पहली घटना है। मनीषा ने नम आंखों के संग पिता के अंतिम संस्‍कार की रीति निभाई। इसके साथ ही उन्‍हाेंने समाज के समक्ष संदेश गया है कि बेटियों को बेटों से अलग मत समझो। 
 

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