ऑडिट में देरी के कारण होता है इंपोर्टेड लीकर का खेल

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 15 Dec, 2025 04:09 PM

custom start two way investigation of important liquor case

पिछले दिनों गुड़गांव में पकड़ी गई 3921 पेटी इंपोर्टेड शराब के मामले में कस्टम विभाग की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने लीकर वेंडर को नोटिस जारी की है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जा रही है।

गुड़गांव, (ब्यूरो): पिछले दिनों गुड़गांव में पकड़ी गई 3921 पेटी इंपोर्टेड शराब के मामले में कस्टम विभाग की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने लीकर वेंडर को नोटिस जारी की है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जा रही है। मामले की जांच पकड़ी गई शराब के स्टॉक और अधिकारियों और ट्रांजेक्शन की जांच कर रही है। बोतल पर निर्धारित होलोग्राम, स्ट्रिप आदी होने चाहिए थे ताकि बाेतलों को ट्रैक किया जा सके, लेकिन इसे कस्टम ड्यूटी से बचाने के लिए इसे फिक्टीशिय कस्टम बॉन्ड (वेयरहाउस) में रखा गया था और यहीं से ही इसे मार्केट में भेजा जाता था। सस्ते दर पर उपलब्ध होने के कारण इस इंपोर्टेड शराब का दिल्ली एनसीआर में कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। 

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अधिकारियों की मानें तो यह पूरा कारोबार ऑडिट में देरी होने के कारण चलता है। इसमें स्थानीय अधिकारियों की भी मिलीभगत की आशंका है जोकि इनकी कस्टम ड्यूटी की जांच तक नहीं करते। पिछले पांच वर्ष से इस कारोबार में तेजी आई है। आमतौर पर कस्टम में हर पांच साल में ऑडिट होता है, लेकिन अभी साल 2012 के स्टॉक का ऑडिट हो रहा है। ऐसे में साल 2025 के स्टॉक का ऑडिट होने में और देरी होगी। इसी देरी का फायदा यह लीकर वेंडर उठाते हैं और अधिकारियों से मिलीभगत कर इस पूरे खेल को खेलते हैं। 

 

अधिकारियों की मानें तो इंपोर्टेड लीकर पहले सरकारी वेयरहाउस में आती हैं और इसके बाद अलग-अलग प्राइवेट वेयरहाउस में भेजी जाती हैं। कस्टम में रजिस्ट्रेशन के बाद इन्हें आगे भेजा जाता है। 90 दिन में कस्टम ड्यूटी का पेमेंट सर्कल पूरा करना होता है। जब यह लीकर एक वेयरहाउस से दूसरे वेयरहाउस में जाती है तो इसमें कस्टम ड्यूटी देने की जिम्मेदारी भी दूसरे वेयरहाउस पर चली जाती है और इस लीकर की कस्टम ड्यूटी भरने के दौरान एक डॉक्यूमेंट भी अपलोड किया जाता है जिसमें लीकर मूवमेंट दिखाई जाती है। 

 

अधिकारियों की मानें तो कस्टम विभाग के पास 157 वेयरहाउस रजिस्टर्ड हैं जिसमें से 58 नकली बताए जा रहे हैं। 90 दिन में कस्टम ड्यूटी का भुगतान नहीं किया जाता और इन्हें एक से दूसरे वेयरहाउस में शिफ्ट किया जाना बताया जाता है। नियमानुसार 90 दिन में कस्टम ड्यूटी का भुगतान न होने पर वेयरहाउस के खिलाफ कार्रवाई करते हुए स्टॉक को जब्त किया जाना चाहिए, लेकिन कुछ अधिकारी ऐसा नहीं करते और व्यापारियों के साथ मिलकर नकली वेयरहाउस के खिलाफ नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर देते हैं और आगे कोई कार्रवाई नहीं करते। 

 

अधिकारियों के मुताबिक, इन गड़बड़ियों की जांच ऑडिट के दौरान हो सकती है। कितना स्टॉक आया और कितनी कस्टम ड्यूटी प्राप्त हुई, लेकिन जिस तरह से ऑडिट किया जा रहा है उससे साफ है कि साल 2025 के स्टॉक का ऑडिट एक दशक के बाद किया जाएगा। इस मामले के उजागर होने के बाद कस्टम विभाग की तरफ से दो तरफा जांच शुरू कर दी गई है। इसमें एक जांच कस्टम विभाग की सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट तथा दूसरी जांच स्पेशल इंटेलीजेंस और इनवेस्टिगेशन यूनिट की तरफ से की जा रही है। स्पेशल इंटेलीजेंस और इनवेस्टिगेशन यूनिट ने गुड़गांव के लीकर वेंडरों को नोटिस जारी किया है।  वहीं, सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट की तरफ से अंदरूनी जांच की जा रही है।

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