Edited By Nitish Jamwal, Updated: 24 Jun, 2024 06:50 PM
हरियाणा में सरकारी भर्ती परीक्षा में सामाजिक-आर्थिक आधार पिछड़े उम्मीदवारों को 5 नंबर का बोनस अंक दिए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि ये असंवैधानिक है।
हरियाणा डेस्क: हरियाणा में सरकारी भर्ती परीक्षा में सामाजिक-आर्थिक आधार पिछड़े उम्मीदवारों को 5 नंबर का बोनस अंक दिए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि ये असंवैधानिक है। वहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने प्रेस वार्ता की। जिसमें सीएम ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन ये वादा भी करते हैं कि इस फैसले से प्रभावित लोगों को नौकरी से निकलने नहीं देंगे, भले ही हमें रिव्यू पिटीशन डालनी पड़े या विधानसभा में विधेयक लाना पड़े।
सीएम ने आगे बोलते हुए कहा कि आने वाले दिनों में हम 50 हजार नौकरियां देंगे। हम किसी को नौकरी से निकलने नहीं देंगे। कांग्रेस पर भी उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार में नौकरियों की बोली लगती थी। कांग्रेस के लोग भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं। कांग्रेस के लोग इस मुद्दे पर ओछी राजनीति कर रहे हैं, वे झूठ और भ्रम फैला रहे हैं। अगर वो इन गरीब बच्चों के खिलाफ हैं, तो वो इस पर विचार करें। हमारी सरकार गरीब बच्चों के हक के लिए लड़ रही है।
विधानसभा में विधायक ला सकती है सरकार
सीएम ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो विधानसभा में विधेयक लाएंगे। उन्होंने कहा कि हम दोबारा कोर्ट में जाएंगे, लेकिन हम इन गरीबों के साथ हैं। अगर इस योजना के जरिए गरीब और अनाथों के घर दीपक जला तो कांग्रेस को इससे क्या दिक्कत है। कांग्रेस के समय में युवाओं में निराशा और हताशा फैल गई थी।
सुरजेवाला पर साधा निशाना
वहीं सुरजेवाला पर निशाना साधते हुए सीएम सैनी ने कहा कि उन्हें सही जानकारी नहीं होती, वे बस ट्वीट कर आरोप लगाते हैं। वो भ्रम फैलाते हैं। वे अपनी सरकार के कार्यकाल को नहीं देखते कि तब बच्चों के साथ क्या होता था। मैं कहना चाहता हूं किसी युवा की नौकरी को कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस के डीएनए में झूठ फैलाना रचा बसा हुआ है।
बता दें कि हरियाणा सरकार ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट में 1.80 लाख सालाना इनकम वाले परिवारों को यह आरक्षण दिया था। जिसमें परिवार पहचान पत्र वाले युवाओं को ही इसका फायदा दिया जाता था। इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे खारिज किया था। हाईकोर्ट ने कहा था- यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है। जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने पहले ही आरक्षण का लाभ दिया है तो यह आर्टिफिशियल श्रेणी क्यों बनाई जा रही है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सरकार ने एग्जाम करवाने वाले हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के जरिए सुप्रीम कोर्ट में 4 पिटीशन दायर की थी।
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