अध्यापक संघ ने दिया सोमवार तक एफआईआर रद्द का अल्टीमेटम

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 16 Mar, 2024 08:35 PM

teachers union gave ultimatum to cancel fir till monday

बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अध्यापकों पर दर्ज एफआईआर का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। डीसी, एसडीएम तथा खंड शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन देने के बाद अध्यापकों ने मामले में कार्रवाई ना होते देख आर पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

फिरोजपुरझिरका,  (ब्यूरो): बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अध्यापकों पर दर्ज एफआईआर का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। डीसी, एसडीएम तथा खंड शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन देने के बाद अध्यापकों ने मामले में कार्रवाई ना होते देख आर पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान फूल कुमार और खंड प्रधान पवन पुनिया, खंड प्रधान वेदपाल, सलाह के जिला प्रधान जोगिंदर सोनी व खंड प्रधान नाजिम आजाद ने संयुक्त प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि उनके साथियों पर यदि सोमवार तक एफआईआर रद्द नहीं होती है और उन्हें ड्यूटी पर वापिस नहीं बुलाया जाता है तो वो हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी जाकर बोर्ड चैयरमैन व सचिव से मिलकर रोष प्रकट करेंगे।

 

यदि वहां उनकी बातों पर अमल नहीं होता है तो वहीं से संपूर्ण हरियाणा में परीक्षाओं का बहिष्कार का ऐलान किया जाएगा। सभी कर्मचारी नेताओं ने अपने साथियों को लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। बता दें कि 13 मार्च को फिरोजपुर झिरका के गर्ल्स स्कूल में 12वीं की परीक्षा के दौरान धारा 144 लगी होने के बावजूद बाहर से स्कूल में घुसे एक अज्ञात उपद्रवी तत्व ने किसी परीक्षार्थी का पेपर लेकर उसका फोटो कर लिया और उसे वायरल कर दिया। इसकी सूचना ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी ने तुरंत बोर्ड की फ्लाइंग को देते हुए कार्यवाही के लिए लिखित प्रतिवेदन दिया। बोर्ड की फ्लाइंग ने परीक्षार्थी से पूछताछ करके वापस परीक्षा देने के लिए बैठा दिया।

 

बाद में जब पेपर वायरल हुआ तो उसी फ्लाइंग ने आकर ड्यूटी पर तैनात सुपरवाइजर सहित केंद्र अधीक्षक, आब्जर्वर, तथा चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करा दिया। जबकि उनके खिलाफ न कोई साक्ष्य थे ना ही उनकी कोई संलिप्तता पाई गई। बोर्ड के इस व्यवहार से अध्यापक संघ ने डीसी ऑफिस जाकर प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपा। इस मामले में जिस युवक ने पेपर का फोटो लिया था उसके खिलाफ न तो अभी तक शिकायत दी गई है ना ही उसे गिरफ्तार किया गया है। बोर्ड के इस कदम से कर्मचारी वर्ग में काफी रोष व्याप्त है जो चुनावी मौसम में सरकार के लिए गले की हड्डी बन सकता है। अगर अध्यापकों का मामला नहीं सुलझा और अध्यापक हड़ताल जैसा कदम उठा बैठे तो सरकार को चुनाव कराने के लिए कर्मचारियों की कमी भी झेलनी पड़ सकती है।
 

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