Edited By Deepak Paul, Updated: 25 Jul, 2018 12:04 PM
नगर निगम में तीन माह पहले भर्ती किए गए 40 बिल वितरक और दो जेई की सेवाएं आयुक्त ने खत्म कर दी है। निगम आयुक्त के अनुसार इन कर्मचारियों की भर्ती गलत तरीकेेे से की गई थी। निगम सूत्रों के मुताबिक चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर और एसआई रमन कुमार की ओर से करीब...
फरीदाबाद(ब्यूरो ): नगर निगम में तीन माह पहले भर्ती किए गए 40 बिल वितरक और दो जेई की सेवाएं आयुक्त ने खत्म कर दी है। निगम आयुक्त के अनुसार इन कर्मचारियों की भर्ती गलत तरीकेेे से की गई थी। निगम सूत्रों के मुताबिक चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर और एसआई रमन कुमार की ओर से करीब तीन माह पूर्व 40 लोगों को बेलदार पद पर निगम में नौकरी दी गई थी। इनके अलावा दो लोगों को जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात किया गया था।
आउट सोर्सिंग पॉलिसी के तहत लगाए गए इन बेलदारों को तैनाती के बाद बिल वितरण के कार्य में लगाया गया था। जेई को भी विभिन्न ब्रांच में तैनात किया गया था। इन तैनातियों पर निगम में विवाद शुरू हो गया था। निगम आयुक्त ने इन 42 कर्मचारियों की तैनाती की प्रक्रिया की जांच कराई। जांच में पाया गया कि तैनाती की प्रक्रिया अपनाए बिना ही इन लोगों को नौकरी दे दी गई। आयुक्त ने शनिवार को निगम के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में इन 42 कर्मचारियों की तैनाती पर भी चर्चा हुई। चीफ इ ंजीनियर डीआर भास्कर कर्मचारियों की तैनाती के संबंध में संतोष जनक जवाब नहीं दे सके। चर्चा के बाद निगम आयुक्त ने इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया। निगम आयुक्त मोइन शाईन ने बताया कि गलत ढंग से भर्ती किए जाने के कारण दो जेई सहित 42 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है।
नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती को लेकर एक नया मामला सामने आया है। निगम में 17 कर्मचारी ऐसे भर्ती किए गए है। जो हुडा से भी वेतन हासिल कर रहे थे। कुछ कर्मचारी ऐसे भी पाए गए, जिनकी नियुक्ति ही नहीं हुई, लेकिन उन्हें फिर भी निगम से वेतन दिया जा रहा था। इसके अलावा 15 कर्मचारी ऐसे थे जो नियुक्ति को इंतजार रहे हैं।
इन कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए हाइकोर्ट ने निगम प्रशासन को भर्ती करने का आदेश जारी किया था। फतेहपुर बिल्लौच निवासी मुकेश कुमार की आरटीआई पर यह मामला उजागर हुआ है। आरटीआई से सारा मामला उजागर होने पर याचिकाकर्ता ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग में की है। फतेहपुर बिल्लौच निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि उन्होंने एक माह पहले निगम मेंं आरटीआई लगाकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बारे में जानकारी मांगी थी। निगम प्रशासन ने 103 पेज की रिपोर्ट मुकेश कुमार को दी। इसी दौरान उन्होंने हुडा से भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बारे में पूरी डिटेल आरटीआई लगाकर मांगी। दोनों जगहों से मिले जवाब की मिलान करने पर 17 कर्मचारी ऐसे मिले जो निगम और प्राधिकरण दोनों से वेतन ले रहे थे।
आरटीआई से हुआ खुलासा
सात नाम आरटीआई में ऐसे भी सामने आए जिनको बिना तैनाती के ही निगम से वेतन दिया जा रहा था। उन्होंने बताया कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीडब्ल्यूपी 15440 के तहत 04 दिसंबर 2017 को नगर निगम को 14 कर्मचारियों को तुरंत तैनाती देने का आदेश दिया था। आठ माह बाद भी इन कर्मचारियों को तैनाती नहीं दी गई। इसकी शिकायत उन्होंने डीसी से लेकर सीएम विंडो में की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। न्याय नहीं मिलने पर उन्होंने राष्टीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है। इस मामले के उजागर होने पर दोनों विभाग खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वहीं विभागीय अधिकारी इतने बड़े मामले से खुद हो अभिनज्ञ बता रहे हैं। हुडा अधिकारियों का कहना है कि वह मामले की जांच कराने के बाद ही कुछ स्थिति स्पष्ट कर पाएंगे।