पंजाबी नेताओं ने मुख्यमंत्री को बताया कमजोर

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 21 Sep, 2018 12:14 PM

punjabi leaders call chief minister weak

पूर्व मंत्री एवं पंजाबी नेता ए.सी. चौधरी तथा सुभाष बत्तरा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को कमजोर मुख्यमंत्री बताया। उन्होंने कहा कि पंजाबी मुख्यमंत्री होते हुए भी वह पंजाबियों के हितों की रक्षा नहीं कर सके। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पंजाबियों की...

चंडीगढ़(बंसल/पांडेय): पूर्व मंत्री एवं पंजाबी नेता ए.सी. चौधरी तथा सुभाष बत्तरा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को कमजोर मुख्यमंत्री बताया। उन्होंने कहा कि पंजाबी मुख्यमंत्री होते हुए भी वह पंजाबियों के हितों की रक्षा नहीं कर सके। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पंजाबियों की दुकानों को जलाया एवं लूटा गया लेकिन सरकार ने ऊंट के मुंह में जीरे समान मुआवजा देकर वाहवाही लूटने का प्रयास किया।उन्होंने आरोप लगाया कि मुआवजा भी चहेतों को तथा भेदभाव करके दिया गया। उन्होंने इस बात पर रोष जताया कि आंदोलन के दौरान उपद्रव के आरोपियों को प्रदेश सरकार रिहा करने पर तुली हुई है। बत्तरा ने कहा मुख्यमंत्री देशद्रोह के आरोपी यशपाल मलिक के साथ बैठकर चाय पीते हैं तो ऐसे में उन्हें कैसे पंजाबी हितैषी कहा जाए। बत्तरा ने कहा कि वह भी प्रदेश के गृह मंत्री रह चुके हैं लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री जिनके पास गृह विभाग है, कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल साबित हुए हैं। 

विभिन्न मंचों के पंजाबी नेताओं ने आज एक मंच पर एकत्रित होकर पत्रकारों के समक्ष अपने-अपने सामाजिक संगठनों का विलय करते हुए पूर्व मंत्री ए.सी. चौधरी के नेतृत्व में पंजाबी मोर्चे का गठन कर दिया। अब सभी पूर्व मंत्री हरियाणा में एक संयुक्त बैनर तले रैली का आयोजन करेंगे। हरियाणा के पूर्व मंत्री ए.सी. चौधरी, पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्तरा, पूर्व मंत्री धर्मवीर गाबा, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आर.के. आनंद, पंजाबी नेता परीक्षित मदान व संत कुमार ने हरियाणवी पंजाबी वैल्फेयर सभा, अखिल भारतीय जागृति मंच व हरियाणा पंजाबी मोर्चा का विलय करते हुए भविष्य में एकजुटता के साथ काम करने का ऐलान किया।

ए.सी. चौधरी ने कहा कि आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक करीब 13 लाख लोगों के बलिदान के बाद पंजाबियों ने आज समूचे विश्व में अपना नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थों के लिए पंजाबी समाज को अलग-अलग वर्गों में विभाजित करने का काम किया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि पंजाबियों की संख्या 32 फीसदी होने के बावजूद उन्हें 15 प्रतिशत की गिना जाता है। एक समय के दौरान हरियाणा में इस समाज के 13 विधायक थे जिनमें से 10 मंत्री व एक चेयरमैन था। इसके बाद राजनीतिक रूप से पंजाबी समाज के हितों से खिलवाड़ होता रहा और सियासी दलों ने पंजाबी नेताओं को उनकी संख्या के अनुरूप टिकट देनी बंद कर दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में जो दल पंजाबियों को 4 लोकसभा तथा 40 विधानसभा की टिकटें देगा, पंजाबी मोर्चा उसी दल का समर्थन करेगा।

चौधरी ने बताया कि प्रदेश के सभी पंजाबी संगठनों को एक मंच पर लाने के बाद बहुत जल्द हरियाणा में पंजाबी सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्तरा ने कहा कि लंबे समय से समाज के साथ हो रहे भेदभाव से दुखी होकर अब प्रदेश की पंजाबी सामाजिक इकाइयों को एकजुट किया जा रहा है। जिससे भविष्य में सभी एक मंच पर आकर अपनी बात रख सकें। इस अवसर पर बोलते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद आर.के. आनंद ने कहा कि एकजुटता के बगैर किसी भी समुदाय का कल्याण संभव नहीं हो सकता है। ऐसे में समूह पंजाबियों का एकमंच पर आना समय की मांग है। इस अवसर पर हिसार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय ओमप्रकाश महाजन व हांसी के पूर्व विधायक स्व. अमीर चंद मक्कड़ के परिजनों ने भी ए.सी. चौधरी के नेतृत्व में बने पंजाबी मोर्चे में समर्थन देने का ऐलान किया।

 

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