Edited By Rakhi Yadav, Updated: 18 Aug, 2018 02:55 PM
भिवानी जिले के गांव जमालपुर की अमरपति वह महिला है, जिसने कठिन आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करते हुए समाज के सामने आत्मनिर्भर होने का उदाहरण पेश....
भिवानी(अशोक भारद्वाज): भिवानी जिले के गांव जमालपुर की अमरपति वह महिला है, जिसने कठिन आर्थिक व पारिवारिक परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करते हुए समाज के सामने आत्मनिर्भर होने का उदाहरण पेश किया है। यह सब संभव हो पाया है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के चलते। केंद्र सरकार द्वारा देश भर में चलाई जा रही इस योजना ने देश की लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है। जमालपुर की अमरपति ने वर्ष 2013 में अंबे महिला स्वयं सहायता समूह की स्थापना की, तब उसे भी यह मालूम नहीं था कि यह स्वयं सहायता ग्रुप न केवल उसका, बल्कि इस ग्रुप से जुड़ी महिलाओं के जीवन में भी इतना बड़ा परिवर्तन ला पाएगा।
आज अमरपति के अंबे ग्रुप से जुड़ी महिलाएं ग्रुप के तीन लाख 80 हजार रूपये से पशुपालन, खल-बिनौले की दुकान, फर्नीचर की दुकान व परचून की दुकान कर आत्मनिर्भर बनी हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत भिवानी जिला के जमालपुर गांव में 32 स्वयं सहायता समूह कार्य रहे हैं। जिनमें 350 के लगभग महिलाएं जुड़ी हुई है। जो मिनी बैंक की तर्ज पर समूह की सदस्यों से प्रतिमाह 200 से 300 रूपये किश्तों में इक्टठा करती हैं तथा उस पैसे से स्वरोजगार की राह पर अग्रसर है।
जमालपुर गांव में इन 32 स्वयं सहायता समूहों को 14 लाख रूपये की राशि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उपलब्ध करवाई गई हैं। ग्रुप से जुड़ी कोई महिला जब आत्मनिर्भर होने के लिए कोई कार्य करना चाहती है तो स्वयं सहायता ग्रुप द्वारा प्रतिमाह किश्तों में इक्टठे किए गए पैसे व आजीविका मिशन के तहत ग्रुप को उपलब्ध पैसे इन महिलाओं के लिए वरदान साबित होते हैं।
अंबे महिला स्वयं सहायता समूह की अमरपति अपने पति द्वारा त्यागे जाने के बाद न केवल खुद के लिए, बल्कि अपने दो बेटों, माता-पिता के लिए भी संरक्षण का काम कर रही है। वह बताती है कि उसने अपनी मां के इलाज व बच्चों की पढ़ाई के लिए इस ग्रुप से पैसे लेकर अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा किया, जिसको वह किश्तों में लौटा रही हैं। उसका कहना है कि ग्राम संगठन उसकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करता है, क्योंकि यदि वे साहूकार से पैसे ले तो बगैर जमीन या गहनों को गिरवी रखे कोई भी उस जैसी गरीब महिला को उधार नहीं देता।
जबकि स्वयं सहायता समूह उन्ही के द्वारा किश्तों में इक्टठे किए गए धन से उसकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करता हैं। अमरपति की मां किताबो देवी कहती है कि उनकी बेटी उनके लिए बेटे से कम नहीं है, क्योंकि उसने मेरे पेट के ऑप्रेशन करवाया तथा अपने बीमार माता-पिता का पालन-पोषण भी कर रही है।