Edited By Updated: 27 Nov, 2015 06:09 PM
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले से आज रोहतक के उन औद्योगिक प्लाट धारकों में मायूसी छा
रोहतक (दीपक भारद्वाज): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले से आज रोहतक के उन औद्योगिक प्लाट धारकों में मायूसी छा गई, जिन्हें एचएसआईआईडीसी की ओर से प्लाट आवंटित किए गए थे। हाईकोर्ट ने आज 222 आवंटन रद्द किए हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद रोहतक के उद्योगपतियों ने चुप्पी साध ली है। एक-दो को छोड़कर कोई भी उद्योगपति इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रोहतक के हिसार रोड पर नया औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए एचएसआईआईडीसी ने आवेदन मांगे। उद्योगपतियों ने औद्योगिक प्लाट के लिए फार्म भरे। उद्योगपतियों के साक्षात्कार भी हुए और अधिकारियों के साथ कई बैठकें हुई,लेकिन उद्योगपति प्लाटों से वंचित रह गए। कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2009 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले औद्योगिक प्लाट आवंटन करने का फैसला ले लिया। ऐसा आरोप है कि सरकार ने अपने चहेतों को 222 प्लाट आवंटित कर दिए और रोहतक के ज्यादातर उद्योगपति वंचित रह गए। उद्योगपतियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने प्लाट आवंटन में नियमों की अनदेखी की है। इसमें कई चहेतों को प्लाट दिए गए हैं, जो वास्तव में उद्योगपति नहीं हैं। इसके बाद यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चला गया।
एचएसआईआईडीसी की ओर से औद्योगिक प्लाट के लिए जो विज्ञापन जारी किया गया था उसमें प्लाटों की संख्या 202 बताई गई थी, लेकिन सरकार ने 222 प्लाट अलॉट कर दिए। इस अलॉटमैंट के लिए 3 आधार बनाए गए थे। पहला तकनीकी क्षेत्र, दूसरा आर्थिक क्षेत्र और तीसरा आधार आवेदन करने वालों का बैकग्राऊंड था। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि जिन लोगों को प्लाट आवंटित किए गए हैं, उनमें से कई हरियाणा में सरकारी सेवा में कार्यरत हैं, जबकि कई उसी एरिया में चाय की दुकान चलाने वाले हैं। ऐसे में सवाल उठा कि आवंटन मैरिट के आधार पर नहीं हुआ। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी पिछली सुनवाई के दौरान तत्कालीन हरियाणा सरकार की मंशा पर सवाल उठाया था।
इस बीच रोहतक के औद्योगिक क्षेत्र में कई प्लाट पर निर्माण भी शुरू हो गया और कई पर अभी औद्योगिक इकाइयां भी लगी हुई हैं। ऐसे में उन प्लाट धारकों में मायूसी छा गई है, जिन्हें ये प्लाट आवंटित किए गए हैं। रोहतक शहर के बाकी उद्योगपतियों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद वे मीडिया के कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। सिर्फ एक-दो उन्हें लोगों ने अपना दर्द सुनाया, जिन्हें औद्योगिक प्लाट आवंटित किए गए थे।