नशे की दलदल में फंस रहे जिले के युवा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 11 Nov, 2017 03:01 PM

hundreds of youth trapped in drunken swamps

पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सरकार द्वारा नशीले पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों का असर सीधा कैथल जिले पर पड़ा है क्योंकि पंजाब की बड़ी सीमा के साथ सिरसा, अम्बाला, फतेहाबाद के अलावा कैथल जिला सबसे निकटवर्ती है। वैसे अढ़ाई...

कैथल(पराशर):पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सरकार द्वारा नशीले पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों का असर सीधा कैथल जिले पर पड़ा है क्योंकि पंजाब की बड़ी सीमा के साथ सिरसा, अम्बाला, फतेहाबाद के अलावा कैथल जिला सबसे निकटवर्ती है। वैसे अढ़ाई करोड़ की आबादी वाले हरियाणा के 18 जिलों की सीमाएं पड़ोसी राज्यों से जुड़ी हैं। हिंदी फिल्मों दंगल और सुल्तान को अखाड़ों के ग्लैमर से  हरियाणा राज्य के कथित सरपरस्तों को शायद यह नजर नहीं आ रहा कि उनकी अगली पौध अखाड़ों की मिट्टी में पसीना बहाने की बजाए मयखानों की मस्ती में मशगूल हो रही है। बीते कुछ सालों के आंकड़े निश्चित तौर पर चौकाने वाले साबित हो रहे हैं। 

पंजाब की सीमा के साथ लगे गांवों मेंं युवा नशीले पदार्थों की ओर आकृष्ट हो रहे हैं। ऐसे पदार्थ बेचने वालों के ठिकानों पर जिन युवाओं को देखा जा सकता है उनमें आयु वर्ग का हिसाब लगाएं तो पता चलता है कि 18 से 40 आयु वर्ग के लोग अधिक शामिल हैं। हालांकि सभी ग्राहकों के आंकलन से पता चलता है कि 60 साल तक की उम्र के लोग स्थानीय तौर पर उपलब्ध डोडा व चूरा पोस्त का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि साल दर साल नशे की दुकानों पर अपनी जवानी बर्बाद करने वाले युवाओं की कतार बढ़ती जा रही है। सरकार को कठोर नीति बनाने की फुर्सत ही नहीं है। कैथल जिले में वर्ष 2016 व 2017 में अब तक एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत 319 केस दर्ज हो चुके हैं तथा 400 से अधिक को गिरफ्तार किया जा चुका है, ये आंकड़े सामान्य नहीं बल्कि चौंका देने वाले हैं। 

गांवों में लोग पर्चियों पर आधारित सौदेबाजी कर रहे हैं और सायं ढलते ही चिट्टा व अन्य नशीली सामग्री खाने के आदी हो चुके हैं जिन पर परिवारों, समाज और पुलिस का कोई नियंत्रण नजर नहीं आ रहा है। गम्भीरता में कमी क्यों बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि बीते 13 सालों के दौरान 10 साल तक तो कांग्रेस ने राज किया और 3 साल से अधिक का समय भाजपा शासन का हो गया है परंतु तस्करी रोकने के लिए तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाए गए।

ऐसे मामले केवल लोकल पुलिस पर छोड़ दिए गए हैं। तस्करों और पुलिस के बीच परम्परागत तरीके से चल रही सांठ-गांठ किसी से छिपी नहीं है। मोटी रकम लेकर तस्करों पर हल्की रिकवरी डालना पुलिस की पुरानी आदत ही नहीं जीवन शैली का हिस्सा बन चुकी है। रिकार्ड बताता है कि पंजाब और हरियाणा के बीच नशीले पदार्थों की तस्करी को लेकर कोई संयुक्त अभियान नहीं चलाया गया हालांकि सामान्य अपराध रोकने को लेकर संयुक्त बैठकें डी.एस.पी. लैवल पर चलती रहती हैं। मेरी मांग है कि पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में ऐसे नशा विरोधी अभियान चलाए जाएं।
रणबीर शर्मा, पूर्व आई.जी. हरियाणा पुलिस।

पुलिस सक्रियता बढ़ी
पुलिस अधीक्षक सुमेर प्रताप सिंह ने कहा कि जिले में बीते कुछ अरसे के दौरान पुलिस सक्रियता बढऩे के कारण स्थिति पर काबू पाया गया है। आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि पुलिस बल कितना काम कर रहा है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे नशे को छोड़ें और मुख्य धारा में शामिल होकर अपना भविष्य उज्ज्वल करें। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़ी जानकारी लोग सीधे ही उनसे सांझा कर सकते हैं।

 

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