थल सेना की खड़ग कोर हुई 44 बरस की

Edited By Updated: 07 Oct, 2015 11:24 AM

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दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर मार करने वाली थल सेना की खड़ग कोर के 44वें स्थापना दिवस की शुरुआत उन शहीदों को नमन कर की गई जिन्होंने अपने देश की आन, बान व शान के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

अंबाला छावनी (रमिंद्र): दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर मार करने वाली थल सेना की खड़ग कोर के 44वें स्थापना दिवस की शुरुआत उन शहीदों को नमन कर की गई जिन्होंने अपने देश की आन, बान व शान के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। खड़ग कोर के कमांडर लैफ्टिनैंट जनरल अमरजीत सिंह ने माल रोड पर कोर मुख्यालय के समक्ष विजय स्मारक पर पुष्प चक्र चढ़ाकर शहीदों को कोर के जांबाज सैनिकों की ओर से सलामी दी।

शहीदों के सम्मान में सैनिकों ने शस्त्र झुका दिए जिसके बाद बिगुलर ने मातमी धुन बजाकर श्रद्धांजलि सभा को पूरा किया। इस अवसर पर कोर के अधिकारी व सैनिक मौजूद रहे। कोर कमांडर लै. जनरल सिंह ने कोर के सभी रैकों और परिवारों को स्थापना दिवस की बधाई भी दी। कोर के स्थापना दिवस पर सैन्य क्षेत्र में अन्य कार्यक्रम भी हुए जिनमें सभी ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।


7 अक्तूबर को हुई थी स्थापना

 खड़ग कोर की स्थापना सन 1971 में भारत-पाक युद्ध से पहले 7 अक्तूबर 1971 को लै. जनरल टी.एन. रैना द्वारा पश्चिमी बंगाल के कृष्णा नगर रेंज में की गई थी। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान बंगलादेश मुक्ति अभियान में कोर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कोर ने बंगलादेश के शहर खुलना, जेस्सोर, झेनीदा, मगुरा, फरिदपुर और गांगा नदी तथा पदमा नदी के बीच के इलाकों पर कब्जा कर लिया गया था। युद्ध के उपरांत कोर का चंडीमंदिर स्थित मुख्यालय बनाया गया मगर 1984 में सेना की पश्चिमी कमान यहां स्थानांतरित होने की वजह जनवरी 1985 में खडग़ कोर को अम्बाला में स्थापित किया गया।

मां काली प्रमुख हथियार कोर का चिन्ह

खडग़ कोर का फार्मेशन चिन्ह मां काली का प्रमुख हथियार ‘खडग़’ है। मां काली द्वारा उठाया गया  खड़ग हमेशा शत्रुओं का सर्वनाश करता है और यही चिन्ह कोर के जवानों को प्रेरणा देता है ताकि युद्ध क्षेत्र में वह दुश्मनों का सर्वनाश कर सकें।

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