चीन व पाक को धूल चटाने वाले फौजी नसीब ने ली अंतिम सांस

Edited By Updated: 11 Sep, 2015 04:25 PM

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देश के पाकिस्तान व चीन के साथ हुए दोनों युद्धो में दुश्मनों को नाको चने चबाने वाले वीर सैनिक सुखदयाल नसीब नहीं रहे।

यमुनानगर (सरनदीप सिंह): देश के पाकिस्तान व चीन के साथ हुए दोनों युद्धो में दुश्मनों को नाको चने चबाने वाले वीर सैनिक सुखदयाल नसीब नहीं रहे।

वायुसेना में सारजैंट के पद पर रहते जहां रादौर के सुखदयाल नसीब ने देश का नाम रोशन किया। वहीं, रिटायर होने के बाद अपना पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया था।

फौजी नसीब के बेटे के शव नसीब ने बताया कि देश विभाजन से पहले पाकिस्तान के मुल्तान से 10वीं की परीक्षा पास करने रादौर का सुखदयाल नसीब देश विभाजन के बाद भारत में आकर बस गए थे। देश सेवा का जज्बा दिल में होने के कारण 26 मई 1950 को वायुसेना में भर्ती हुए।

वायुसेना में सारजैंट के पद पर रहते हुए 1962 में भारत-चीन तथा 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में फौजी सुखदयाल नसीब ने दुश्मनो के दांत खटटे किए। आप्रेशन चाईनीज अग्रेशन तथा इंडो पाक कानफ्लिक्ट में सराहनीय भूमिका निभाई समाज सेवा के कार्यो में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए 1981 में तत्कालीन राज्यपाल ने फौजी नसीब को सम्मानित किया।

जांहगीरों के लिए रादौर शहर में करीब 4 लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च कर अलग-अलग जहां वाटर कूलर लगाए। फौजी व समाजसेवी सुखदयाल नसीब ने 5 सितम्बर को अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन पर 17 सितम्बर को रादौर में आयोजित होने वाले शोकसभा में उनके निधन पर पूरे क्षेत्र के लोगो ने गहरा शोक व्यक्त किया।

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