बचपन से ही पढ़ने अौर सजने-संवरने की शौकीन थी मिस वर्ल्ड मानुषी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Nov, 2017 04:57 PM

miss world manushi was fond of reading

नई मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर को बचपन से ही पढऩे के साथ सजने-संवरने का बड़ा शौक था। बचपन में मानुषी जो ठान लेती थी उसे पूरा करती थी। आगे भी उसमें यही जज्बा बरकरार रहा। बचपन में मानुषी जब अपने ननिहाल में आती थी, खेल-खेल में सजने-संवरने लग जाती थी। अपने...

गोहाना(अरोड़ा):नई मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर को बचपन से ही पढऩे के साथ सजने-संवरने का बड़ा शौक था। बचपन में मानुषी जो ठान लेती थी उसे पूरा करती थी। आगे भी उसमें यही जज्बा बरकरार रहा। बचपन में मानुषी जब अपने ननिहाल में आती थी, खेल-खेल में सजने-संवरने लग जाती थी। अपने जज्बे के बलबूते पर ही मानुषी मिस वर्ल्ड बनी और देश का नाम रोशन किया। यह बात उसके नाना वरिष्ठ अधिवक्ता इंद्र सिंह सहरावत ने बताई। 

मानुषी के ननिहाल में रविवार को खुशी मनाई। मानुषी के पडऩाना चंदगी राम स्वाधीनता सेनानी थे तथा उनका परिवार गांव जागसी में रहता था। करीब 5 दशक पहले चंदगी राम ने गांव छोड़ दिया था और शहर में आकर रहने लगे थे। उनके 7 बेटे हैं जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता इंद्र सिंह सहरावत इस समय शहर के देवी नगर में रहते हैं। गांव जागसी में पडऩाना के भाई ज्ञानी राम का परिवार रहता है।

रविवार को मानुषी के नाना इंद्र सिंह सहरावत ने खुशी मनाई। उनके घर भी बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा रहा। सहरावत ने कहा कि 17 साल के बाद भारत को मिस वल्र्ड का खिताब मिला है और उसकी लाडली मानुषी ने यह खिताब जीता है। उसके लिए इससे बड़ी खुशी की कोई और बात हो नहीं सकती है। नाना ने बताया कि मानुषी ने 12वीं की परीक्षा में टॉप किया था। अब वह गांव खानपुर कलां स्थित भगत फूल सिंह महिला मैडीकल कालेज में एम.बी.बी.एस. द्वितीय वर्ष की छात्रा है। इस मौके पर मानुषी के मामा अधिवक्ता सुनील सहरावत, विक्की, बलवीर, मामी सेवापति, प्रेमो, सुमन और संजना ने भी खुशी जताई।

4 जुलाई को सीएम से मिली थी मानुषी
विश्व सुंदरी बनी मानुषी छिल्लर 4 जुलाई को  सी.एम. मनोहर लाल से उनके निवास पर मिलने पहुंची थी। इस दौरान फेमिना मिस इंडिया मानुषी ने कहा था कि लोगों को महिलाओं के प्रति सोच बदलनी होगी। खेलकूद हो या अन्य कोई क्षेत्र, आज सभी क्षेत्रों में बेटियां आसमान छू रही हैं। बेटियों को परिवार और समाज का सहयोग मिले तो उनके लिए कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं होगी। मानुषी ने कहा था कि गांवों में मां-बाप अपनी बेटियों को बाहर भेजने से गुरेज करते हैं जबकि वह भाग्यशाली है कि उन्हें हमेशा अपने माता-पिता का सहयोग मिला। मानुषी ने कहा था कि वह सरकार के साथ मिलकर बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ करना चाहती हैं।

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