कुरुक्षेत्र से शुरू होने वाले किरण चौधरी के शंखनाद में सुभाष बत्रा बनेंगे सारथी

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 19 Aug, 2022 10:25 PM

subhash batra will become charioteer in kiran choudhary program

किरण चौधरी के किसी भी जगह कार्यक्रम के लिए एक कमेटी प्रान्त स्तरीय बनाई गई है। जिसके अध्यक्ष पूर्व गृह राज्य मंत्री सुभाष बत्रा बनाए गए हैं। किरण जिस जिले में जाएंगी,वहां रात्रि ठहराव भी रखेंगी।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा कांग्रेस की विधायक किरण चौधरी द्वारा 29 अगस्त से कुरुक्षेत्र में शुरू होने वाले शंखनाद के अंदर पंजाबी नेता तथा पूर्व गृहमंत्री सुभाष बत्रा सारथी की भूमिका में नजर आ सकते हैं। गौरतलब है कि किरण चौधरी ने जब 5 वर्ष पूर्व हरियाणा के अंदर अपना संघर्ष शुरू किया था तब भी पंजाबी नेता सुभाष बत्रा ने उनके राजनीतिक संघर्ष में उनके साथी की भूमिका निभाई थी। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अंदर चल रही अंतर कला से पीड़ित किरण चौधरी इस बार जो अलग डफली जाने जा रही हैं उसके अंदर किरण चौधरी के सभी समर्थकों के साथ समन्वय का प्रमुख दायित्व सुभाष बत्रा के हाथ रहने वाला है।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार किरण चौधरी के किसी भी जगह कार्यक्रम के लिए एक कमेटी प्रान्त स्तरीय बनाई गई है। जिसके अध्यक्ष पूर्व गृह राज्य मंत्री सुभाष बत्रा बनाए गए हैं।किरण जिस जिले में जाएंगी,वहां रात्रि ठहराव भी रखेंगी। प्राम्भिक रूप से वह कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद,करनाल व जींद जिलों में जाएंगी। एक सप्ताह में एक जिले में कार्यक्रम रहेगा। किरण चौधरी के इन कदमों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान व नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भुपिंदर सिंह हुड्डा की भी निःसंदेह पैनी निगाहैं रहेंगी। वह किरण के इस न्याय युद्ध का तोड़ क्या निकालते हैं पर सबकी निगाहें रहेंगी।अत्तीत में जब 6-7 वर्ष पूर्व किरण चौधरी ने जब अलग रैलियां की थी तब भी हुड्डा ने अपने बचपन के साथी सुभाष बत्रा की मध्यस्थता से सुंदरनगर स्थित उनके निवास पर जाकर स्थिति नियन्त्रित की थी।

 

कांग्रेस के इस गृह-युद्ध के सार्वजनिक होने पर भाजपा के लिए स्थिति सबसे ज्यादा सुखद रहने वाली है क्योंकि बाहिर दर्शक-दीर्घा में बैठ लुत्फ उठाने का लाभ मिलेगा।नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भुपिंदर सिंह हुड्डा के पास लम्बा राजनीतिक अनुभव व पूरे हरियाणा में पैठ है। हरियाणा प्रदेश में कांग्रेस की कमान नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट को देने व प्रदेशाध्यक्ष उदयभान को बनाने से आहत हुए कांग्रेस के सभी अन्य उपेक्षित नेता किरण चौधरी के संपर्क में है।जिससे लगताहै,की आने वाले दिनों में कांग्रेस की गुटबाजी सड़कों पर अब ज्यादा खुलकर दिखेगी।पिछले दिनों किरण चौधरी ने कहा भी है कि अच्छे बुरे वक्त में जब कांग्रेस का साथ छोड़कर नेता भाग गए, हमने कभी कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा। कॉन्ग्रेस हमारे अंदर है। लेकिन राजनीतिक विरोधियों को किरण चौधरी आंख का रोड़ा दिख रही है। क्योंकि किरण चौधरी हमेशा सच्चाई की बात करती है और निष्पक्षता के साथ अपने काम को करती है। किरण चौधरी का कोई और एजेंडा नहीं होता। लेकिन मेरे राजनीतिक विरोधी भाई अपना काम करने की कोशिशों में लगे रहते हैं। लेकिन एक बात कहना चाहती हूं कि इससे पार्टी आगे नहीं बढ़ती। इससे पार्टी कमजोर होती है। यह कोई अच्छी बात नहीं है।

 

सुभाष बत्रा ने कहा कि चौधरी भजनलाल 12 से 13 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में भी नेता रहे इसके बावजूद उन्होंने फतेहाबाद जैसे हल्के में जहां पंजाबी समाज का एमएलए बनता था वहां अपने भतीजे को चुनाव लड़ वाया जिसके बाद पंजाबी समाज की सीट वहां खत्म हो गई ऐसे ही हांसी सीट पंजाबी समाज की थी जहां कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पत्नी रेणुका बिश्नोई को वहां से चुनाव लड़ वाया और वह सीट भी खत्म हो गई। बत्रा ने कहा कि फरीदाबाद में भी उनकी 3 सीटें थी जहां वर्तमान में एक भी नहीं है दूसरी तरफ गुड़गांव की सीट पर भी सुखबीर कटारिया को टिकट देकर पंजाबी समाज की सीट वहां से खत्म कर दी गई ऐसे ही श्याम दास मुखीजा सोनीपत से चुनाव लड़ते थे लेकिन बीजेपी ने कविता जैन को वहां से टिकट दे दी कैथल सीट पर रणदीप सिंह सुरजेवाला आ गए थे।बत्रा के अनुसार जो भी कांग्रेस के  बड़े नेता थे उन्होंने अपने परिवार के लोगों को राजनीतिक फायदा पहुंचाने के लिए पंजाबी सीटों को निशाना बनाया।

 

बत्रा ने कहा कि वह हमेशा से पंजाबी समाज के हक की लड़ाई लड़ते आए हैं पंजाबी का मतलब हिंदू खत्री या अरोड़ा नहीं है बल्कि यह एक कल्चर और एक संस्कृति है जो पाकिस्तान से आए लेकिन पाकिस्तान से तो रोड और सिंगला भी आए थे ।लेकिन जो लोग पाकिस्तान के पंजाब से आए थे वह पंजाबी थे लेकिन उन्हें आज रिफ्यूजी कहा जाता है, जिसका उन्हें दुख है। बत्रा ने कहा कि पंजाबी समाज पाकिस्तान में अपनी जमीन जायदाद सब कुछ छोड़कर आए और पुरुषार्थ के बल पर देश-विदेश में अपना नाम कमाया लेकिन हरियाणा में उन्हें इकट्ठा होने की जरूरत होने के साथ-साथ पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर पंजाबी समाज को इकट्ठा होने का वक्त आ गया है।

 

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