स्कूल है इंग्लिश मीडियम और टीचर अपनी मनमानी से पढ़ाते हैं हिंदी मीडियम में, ग्रामीणों ने जड़ा ताला

Edited By Shivam, Updated: 22 Feb, 2020 10:24 PM

पलवल के गांव नंगला भीखू में ग्रामीणों ने अध्यापकों की मनमानी के चलते स्कूल गेट पर ताला जड़ दिया और अध्यापकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों व अभिभावकों का कहना है कि विभाग की तरफ से स्कूल को अंग्रेजी माध्यम से कर दिया गया था लेकिन स्कूल में...

पलवल (दिनेश): पलवल के गांव नंगला भीखू में ग्रामीणों ने अध्यापकों की मनमानी के चलते स्कूल गेट पर ताला जड़ दिया और अध्यापकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों व अभिभावकों का कहना है कि विभाग की तरफ से स्कूल को अंग्रेजी माध्यम से कर दिया गया था लेकिन स्कूल में कार्यरत अध्यापक अपनी मनमानी के चलते बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ा रहे हैं, जिससे बच्चे स्कूल छोडऩे पर मजबूर हैं। उनकी मांग है कि जल्द ही आरोपित अध्यापकों का ट्रांसफर कर दूसरे अध्यापक नियुक्त नहीं किए गए तो वो आने वाले समय में इन अध्यापकों को स्कूल में घुसने नहीं देंगे।

गांव के सरपंच राजेंद्र ने बताया कि गांव में राजकीय माध्यमिक स्कूल है। स्कूल को सरकार व जिला विभाग ने वर्ष 2019 में अंग्रेजी माध्यम से कर दिया था, जिससे लोगों को आस जगी कि अब उन्हें अधिक रुपये खर्च कर प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं पड़ेगा। गांव छपरोला, दूधौला तक के लोगों ने अपने बच्चों से प्राईवेट स्कूल छुड़वाकर उनका दाखिला इस सरकारी स्कूल में करा दिया था। 

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स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 300 के लगभग हो गई। विद्यार्थियों की संख्या को बढ़ता देख ग्राम पंचायत ने अपने स्तर पर कुछ प्राईवेट अध्यापकों को नियुक्त कर दिया ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। टीचरों को वेतन ग्राम पंचायत की तरफ दिया जाने लगा। लेकिन अब स्कूल में कार्यरत अध्यापक अपनी मनमानी कर बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ाने लगे। ग्रामीणों की तरफ से कई बार अध्यापकों को समझाया गया। लेकिन अध्यापक अपनी आदतों से बाज नही आए। जिसके चलते ग्रामीणों ने शनिवार को एकत्रित होकर स्कूल गेट पर ताला जड़ दिया और अध्यापकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 

ग्रामीणों की मांग थी कि जब तक अध्यापक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाना शुरू नहीं करेंगे तब तक ताला नहीं खोला जाएगा। गांव छपरोला निवासी अंजू ने बताया कि उसके दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन अध्यापक अंग्रेजी माध्यम की जगह हिंदी माध्यम से पढ़ा रहे। यहां तक कि अध्यापकों का व्यवहार भी ठीक नहीं रहता है और वे अक्सर बच्चों अभ्रद भाषा में बात करते हैं। प्रश्नों के जवाब देने के बाद भी बच्चों के साथ मारपीट करते हैं।

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