​पंचर लगाने वाले की बेटी बनी जिला टॉपर, हासिल किए 93 प्रतिशत अंक

Edited By Shivam, Updated: 19 May, 2018 08:57 PM

rewari topper is daughter of punctureman gets 93 percent marks

बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं हैं। अक्सर सार्वजनिक मंचों पर कहे जाने वाले इस वाक्य को आज 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में रेवाड़ी की बेटियों ने साकार कर दिया है। रेवाड़ी की छोरियों ने ऐसा कमाल किया कि टायर पंचर लगाने वाले एक...

रेवाड़ी(मोहिंदर भारती): बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं हैं। अक्सर सार्वजनिक मंचों पर कहे जाने वाले इस वाक्य को आज 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में रेवाड़ी की बेटियों ने साकार कर दिया है। रेवाड़ी की छोरियों ने ऐसा कमाल किया कि टायर पंचर लगाने वाले एक शख्स की बेटी ने 93 प्रतिशत अंक हासिल कर रेवाड़ी जिले में टॉप कर दिया। इतना ही नहीं, इसी स्कूल में पढऩे वाली साक्षी ने 89 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।

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बता दें कि शुक्रवार को आए 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में रेवाड़ी जिले का परीक्षा परिणाम 72.43 प्रतिशत रहा, जिसमें अकेले गांव बोडिया कमालपुर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अव्वल रहा और इस स्कूल का परीक्षा परिणाम 82.3 प्रतिशत रहा। स्कूल के कुल 78 बच्चों में से 12 बच्चों ने मैरिट हासिल की।

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मैरिट हासिल करने वाले छात्रों में ज्योति ने 93 और साक्षी ने 89 प्रतिशत अंक हासिल किए।​ ज्योति के पिता महिपाल हाइवे पर टायर पंचर की दुकान चलाते हैं तो साक्षी के पिता इसी स्कूल में लेक्चरर हैं। इन  ​दोनों ही छात्राओं का मकसद उच्च शिक्षा प्राप्त कर शिक्षक बनना है।

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 इस बड़ी उपलब्धि पर स्कूल स्टॉफ व ग्राम पंचायत की ओर से मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया गया और सभी ने इन छात्राओं को बधाई दी।​वहीं स्कूल प्रबंधन का कहना है कि 12वीं क्लास पास करने के बाद जिन बच्चों के अभिभावक उन्हें नहीं पढ़ा सकते, उनके किये स्कूल स्टाफ व ग्राम पंचायत के सहयोग से राहत कोष बनाया हुआ है, ताकि उन्हें आगे पढ़ाया जा सके। ​इस फंड में स्कूली बच्चे भी अपना सहयोग करते हैं।

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​क्या है इस स्कूल की खासियत
स्कूल को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह कोई सरकारी स्कूल होगा​। यहां पर वो तमाम सुविधाएं मौजूद हैं, जोकि निजी स्कूलों में देखने को मिलती हैं, जिनमें छात्रों के लिए लैब, लाइब्रेरी, मॉडल शौचालय, अलग से ड्रेस, टाई-बैल्ट व आई कार्ड शामिल हैं। इतना ही नहीं, सभी बच्चे पूरी तरह अनुशासन में नजर आते हैं और आसपास के गांव ही नहीं रेवाड़ी शहर तक से बच्चे इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं।

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