किसान अपने भविष्य को बचाने की लड़ाई लड़ रहे: सुरजेवाला, कहा- सरकार को झुका कर ही दम लेंगे

Edited By vinod kumar, Updated: 30 Dec, 2020 11:25 PM

randeep surjewala said farmers fighting to save their future

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला देश की राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और उन्हें कांग्रेस के सबसे सफल प्रवक्ता और कांग्रेस आलाकमान के भरोसेमंद नेता के रूप में जानते हैं। हरियाणा की राजनीति में वे संभवत अकेले ऐसे नेता...

चंडीगढ़ (धरणी): कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला देश की राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और उन्हें कांग्रेस के सबसे सफल प्रवक्ता और कांग्रेस आलाकमान के भरोसेमंद नेता के रूप में जानते हैं। हरियाणा की राजनीति में वे संभवत अकेले ऐसे नेता हैं, जिनके नाम हरियाणा के सिटिंग मुख्यमंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री को विधानसभा चुनावों में हराने का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में विधानसभा के कुल छह आम चुनाव लड़े हैं, जिनमें से चार में उन्हें जीत मिली और अन्य दो चुनावों में उन्हें बहुत छोटे अंतर से शिकस्त मिली। पंजाब केसरी के विशेष प्रतिनिधि चन्द्रशेखर धरनी ने उनसे किसान के मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की, पेश हैं मुख्य अंश-

प्रश्न- मोदी सरकार बार-बार किसानों को भरोसा दिला रही है पर किसान सरकार पर भरोसा करने को तैयार नहीं है?
उत्तर- भारत का किसान मोदी सरकार के इरादों को भली भांति समझ गया है और वे अपने भविष्य को बचाने के लिए इन तीन काले कानूनों को ख़त्म करने से कम नहीं मानेगा। वो समझ गया है की भाजपा सरकार कृषि के 25 लाख करोड़ रुपए के व्यापार को अपने कुछ चुनिंदा उद्योगपति मित्रों के हाथों में बेचना चाहती है। इन कानूनों के बाद किसान अपने खेत में गुलाम बनकर रह जाएंगे। किसानों के लिए यह लड़ाई उनके अस्तित्व की लड़ाई बन गई है। इसी कारण किसान तमाम परेशानियों और भीषण ठंड के बावजूद सड़कों पर बैठा है।

प्रश्न- भाजपा द्वारा इस आंदोलन को केवल पंजाब-हरियाणा राज्य तक ही सीमित बताया जा रहा है? क्या अन्य राज्यों के किसानों को इन कानूनों से कोई परेशानी नहीं है?
उत्तर- पहले भाजपा द्वारा साजिश के तहत यह कहा गया है की यह आंदोलन केवल पंजाब का आंदोलन है। फिर जब हरियाणा के किसान इन काले कानूनों के खिलाफ उठ खड़े हुए तो कहा गया कि यह आंदोलन पंजाब और हरियाणा तक ही सीमित है। यदि यह आंदोलन पंजाब-हरियाणा तक ही सीमित है तो राजस्थान-उत्तर प्रदेश के किसान क्यों बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। 

उत्तराखंड के किसानों को क्यों वहां की पुलिस द्वारा रोका जा रहा है। पटना में किसानों पर लाठीचार्ज क्यों हुआ? गुजरात के किसानों को पुलिस द्वारा हिरासत में क्यों लिया जा रहा है? अगर आंदोलन पंजाब-हरियाणा तक ही सीमित है तो राजस्थान में एनडीए के सहयोगी आरएलपी को किसान आंदोलन के दबाव में एनडीए का साथ क्यों छोड़ना पड़ा। सच्चाई यह है कि आज पूरे देश का किसान इस सरकार के खिलाफ पूरी एकजुटता से खड़ा हो गया है।  

प्रश्न- प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह किसानों की आय दोगुना करने पर काम कर रही है, इसी दिशा में पिछले वर्षों में कार्य किए जा रहे हैं।
उत्तर- किसानों की आय दोगुना करने की बात तो दूर इस सरकार ने किसानों की जो आय वर्ष 2014 से पहले थी, उस पर ही वार कर दिया है। भाजपा ने पिछले 6 सालों में किसानों पर छह बड़े वार किए हैं। पहला वार 12 जून 2014 को गेहूं की सरकारी खरीद पर बोनस नहीं देने का फैसला था। दूसरा वार वर्ष 2014 में ही भूमि के उचित मुआवजा कानून को खत्म करने के लिए अध्यादेश लाना था। तीसरा मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा कभी नहीं दिया जा सकता है। 

चौथी वार में प्रधानमंत्री बीमा योजना के जरिये प्राइवेट बीमा कंपनियों को 26 हजार करोड़ रूपये का मुनाफा कमवाया, पांचवा वार में जून 2017 में मोदी के वित्त मंत्री अरुण जेटली जी ने संसद में कहा था कि भारत सरकार किसान का एक फूटी कौड़ी कर्ज माफ नहीं कर सकती और अब छठा वार इन तीन काले कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र को पूरी तरह बर्बाद करने के लिए किया गया है।

प्रश्न- किसान आंदोलन को पिछले एक महीने से ऊपर हो चुके हैं, कई किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन कोई समाधान निकलता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
उत्तर- देश की आजादी के बाद यह सबसे अनूठा आंदोलन है, जिसमें लाखों किसान भाग ले रहे हैं, सरकार द्वारा भड़काने की सभी कोशिशों के बावजूद किसान लगातार संयम बनाये हुए हैं। आंदोलन में 50 के करीब किसान शहीद हो चुके है। 

प्रश्न- सरकार ने दावा किया है की अनेक किसान संगठन इन किसान कानूनों के पक्ष में हैं?
उत्तर- सरकार खुद कन्फ्यूज्ड है। एक तरफ प्रधानमंत्री एक तरफ इन कानूनों के फायदे बता रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार द्वारा किसानों से बातचीत का ढोंग पीटा जा रहा है। दूसरी ओर भाजपा द्वारा किसानों पर तरह-तरह की टिप्पणियां कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है। 

भाजपा द्वारा अपने लोगों को बैठाकर किसान बताकर प्रधानमंत्री से संवाद करवाया जा रहा है। भाजपा द्वारा देश की जनता को भर्मित करने के लिए रातों-रात स्वयंभू किसान संगठन खड़े किए जा रहे हैं। यह सब भाजपा सरकार द्वारा किसानों की आवाज दबाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन किसान जागरूक है, सब समझता है।

प्रश्न- क्या आपको लगता है कि इस किसानों और सरकार के बीच कोई रास्ता निकलेगा?
उत्तर- जनता की आवाज सुनना सरकार का कर्तव्य होता है, लेकिन सत्ता के अहंकार के मद में चूर मोदी सरकार को 62 करोड़ अन्नदाता के दर्द की कोई फिक्र नहीं है, उसे केवल अपने चुनिंदा पूंजीपति मित्रों की चिंता है। लेकिन देश का किसान जाग उठा है और अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो गया है। उनकी ताकत से सामने इस सरकार को झुकना ही होगा। सरकार को यह तीन काले कानून वापस लेने ही होंगे। इसके अलावा सरकार के पास कोई और रास्ता नहीं है। सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़े और किसानों की बात सुने। 

प्रश्न- मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस पार्टी की तीन कृषि कानूनों के खिलाफ क्या भूमिका है?
उत्तर- मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस पार्टी ने किसानों की आवाज़ लगातार उठाई है। जब यह काले कानून सरकार द्वारा लाए गए उस वक्त से कांग्रेस ने इनका बार-बार पूरजोर विरोध किया है। चाहे सड़क की बात हो या संसद की, कांग्रेस पार्टी ने हर स्तर पर इन काले कानून का विरोध में संघर्ष किया है। आपने देखा होगा कि किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंट कर भाजपा सरकार द्वारा इन काले कानूनों को संसद में पास कराया गया। 

कांग्रेस पार्टी ने उस वक्त भी संसद के अंदर इन काले कानूनों का भरपूर विरोध किया था, जिसके चलते कांग्रेस सांसदों को निलंबित भी किया गया था। किसानों के समर्थन में राहुल गांधी जी ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी और कांग्रेस पार्टी ने देशभर में आंदोलन किया। इसके बाद राहुल गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने दो बार राष्ट्रपति से मुलाकात कर किसानों की आवाज को सर्वोच्च स्तर पर उठाया है और उनसे इन काले कानूनों को रद्द करने की मांग की है। आगे भी हमारा यह संघर्ष जारी रहेगा। हम किसानों की इस उचित संघर्ष में किसानों के साथ खड़े हैं और सरकार को किसान के सामने झुका कर ही दम लेंगे।

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