हरियाणा मेें शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल, सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे चपरासी

Edited By vinod kumar, Updated: 06 Feb, 2020 04:00 PM

peons teaching children in government schools

हरियाणा में एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के सरकार लाखों दावे करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ऐसा ही कुछ मामला अंबाला में सामने आया है। जहां दो 2 सरकारी स्कूलों में अध्यापक न होने पर चपरासी...

अंबाला(अमन कपूर): हरियाणा में एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के सरकार लाखों दावे करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। अंबाला के 2 सरकारी स्कूलों में अध्यापक न होने पर चपरासी बच्चों को मैथ साईंस पढ़ा रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने वाले चपरासी कोई और नहीं बल्कि पिछले दिनों ग्रुप डी की भर्ती में सलेक्ट हुए युवा हैं। जो टीचरों की कमी को पूरा करने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं। यह चपरासी स्कूल में शिक्षक और फोर्थ क्लास दोनों की भूमिका निभा रहे हैं। 

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ग्रुप डी की भर्ती सबको अच्छे से याद है, जिसमे पढ़े लिखे युवा चतुर्थ श्रेणी में भर्ती हो हरियाणा सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हरियाणा के अंबाला में यही युवा सरकारी स्कूलों में चपरासी के साथ साथ टीचर की भूमिका निभा रहे हैं। यह युवा भर्ती तो फोर्थ क्लास में हुए हैं, लेकिन बच्चों को अच्छे से साईंस व हिसाब पढ़ा रहे हैं।

अंबाला के माजरी गांव व मर्दों साहिब गांव के सरकारी स्कूलों में युवा चपरासी के साथ साथ बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। बता दें कि कमल सिंह की भर्ती ग्रुप डी के अंतर्गत हुई है और वे माजरी गांव के सरकारी स्कूल में चपरासी के तौर पर भर्ती हुए। कमल सिंह एमएससी फिजिक्स हैं, वह माजरी गांव में मैथ का टीचर कम होने पर बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं।

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ऐसा नहीं है कि कमल चपरासी का काम नहीं करते, वे दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं। कमल का कहना है ऐसा वे स्वेच्छा से कर रहे हैं, स्कूल में हिसाब का टीचर नहीं है तो वे बच्चों के भले के लिए ऐसा कर रहे हैं। 

यही ठीक हाल मर्दों साहिब गांव के सरकारी स्कूल का भी है, जहां पिछले दिनों साईंस टीचर का निधन होने के बाद महेंद्र पाल चपरासी होने के बावजूद स्कूल में बच्चो को साइंस पढ़ा रहे हैं। महेंद्र पाल बीटेक हैं, वे भी ग्रुप डी भर्ती के तहत इस सरकारी स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। 

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माजरी गांव व मर्दों साहिब गांव के सरकारी स्कूल को संभाल रही प्रिंसिपल सरबजीत कौर का कहना है कि स्कूल में शिक्षक की कमी होने के चलते यह दोनों जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। इनके पास क्वालिफिकेशन है तो हम उसका उपयोग कर दोनों काम करवा रहे हैं। उन्होंने बताया बच्चे भी इन्हें पूरा सम्मान देते हैं। 

अंबाला के सरकारी स्कूलों में फोर्थ क्लास बच्चों को पढ़ा दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं इसकी स्टिक जानकारी जिला शिक्षा विभाग के पास नहीं है। यह मामला जब विभाग के ध्यान में लाया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि स्कूल टीचर्स की कमी है तो स्कूल प्रिंसिपल फोर्थ क्लास की सक्षमता को देखते हुए बच्चों के लिए ऐसा प्रबंधन कर रहे हो। 

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