Edited By vinod kumar, Updated: 28 Mar, 2020 06:55 PM
हरियाणा के नूंह शहर में पिछले करीब 11 साल से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन के चलते रोहिंग्या रोजमर्रा की मजदूरी पर नहीं जा पा रहे हैं। जिससे भूखे मरने की नौबत आ गई है।
मेवात(एके बघेल): हरियाणा के नूंह शहर में पिछले करीब 11 साल से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन के चलते रोहिंग्या रोजमर्रा की मजदूरी पर नहीं जा पा रहे हैं। जिससे भूखे मरने की नौबत आ गई है।
घर में जो कुछ राशन बचा हुआ था, उसका इस्तेमाल पिछले 4 दिनों में कर लिया गया है। अभी 14 अप्रैल तक लॉकडाउन के आदेश दिए हुए हैं, ऐसे में रोहिंग्या मजदूरी के लिए नहीं जा पा रहे हैं। इसके अलावा अगर किसी के पास कुछ थोड़ा बहुत पैसा बचा हुआ है, तो उन्हें झुग्गियों से बाहर आकर शहर से जरूरी सामान खरीदने में पुलिस का खौफ सता रहा है।
रोहिंग्या के छोटे-छोटे बच्चे इस सबसे बेखबर झुग्गियों से बाहर खेल रहे हैं , लेकिन बड़े लोग झुग्गियों में एक तरह से कैद होकर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है । 11 साल पहले सात समंदर पार वर्मा से हिंदुस्तान में आकर शरण ली थी।
नूंह शहर में तकरीबन 430 रोहिंग्या परिवार बड़ी आसानी से रह रहे थे और उनको मजदूरी भी आसानी से मिल जाती थी, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते उन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही है। सरकार व प्रशासन से अभी तक कोई मदद इन रोहिंग्या के लिए नहीं पहुंची है। हालांकि पीने के पानी के टैंकर जरूर जिला प्रशासन इन परिवारों को मुहैया करा रहा है।