हरियाणा में ब्लैक फंगस के पेशैंट्स का बढ़ रहा दर्द, इंजैक्शन के लिए खा रहे धक्के

Edited By Manisha rana, Updated: 16 Jun, 2021 11:18 AM

increasing pain of black fungus patients in haryana pushing for injection

हरियाणा में ब्लैक फंगस के पेशैंट्स के लिए एंफोटेरेसिन इंजैक्शन की कमी बीमारी का दर्द बढ़ा रही है। दिन में अगर 6 इंजैक्शन की जरूरत है तो पेशैंट्स को बमुश्किल 1 या 2 इंजैक्शन ही अस्पतालों में नसीब ...

चंडीगढ़ : हरियाणा में ब्लैक फंगस के पेशैंट्स के लिए एंफोटेरेसिन इंजैक्शन की कमी बीमारी का दर्द बढ़ा रही है। दिन में अगर 6 इंजैक्शन की जरूरत है तो पेशैंट्स को बमुश्किल 1 या 2 इंजैक्शन ही अस्पतालों में नसीब हो रहे हैं। ऐसे में कई पेशैंट्स को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ रहा है। पी.जी.आई. रोहतक के एक डाक्टर ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर कहा कि एक ब्लैक फंगस पेशैंट को इलाज के पूरे कोर्स के लिए 50 से 60 इंजैक्शन लगाना जरूरी होता है परंतु स्वास्थ्य विभाग भी पेशैंट्स की स्थिति और इंजैक्शन की कमी के चलते खुद को लाचार महसूस कर रहा है।

सिर्फ पी.जी.आई. रोहतक में ही ब्लैक फंगस के 250 से अधिक पेशैंट्स उपचाराधीन हैं और हर पेशैंट को एक या दो इंजैक्शन विभाग दे पा रहा है। बाकी कोर्स के लिए पेशैंट्स के तीमारदारों को कैमिस्ट और फार्मास्यूटिकल कंपनियों के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार से एक दिन छोड़कर एंफोटेरेसिन इंजैक्शन का स्टॉक मिल रहा है। स्थिति यह है कि ब्लैक फंगस के प्रदेश में कुल पेशैंट्स का आंकड़ा भी स्वास्थ्य विभाग द्बारा छिपाया जा रहा है। 

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अस्पतालों में क्यों नहीं इंजैक्शन का स्टॉक?
पेशैंट सोनू की दो दिन पहले हिसार के एक निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस से ग्रस्त होने के बाद मौत हुई है। उसके रिश्तेदार ने कहा कि सोनू पहले कोरोना ग्रस्त हुआ। पहले तो रेमडेसिविर इंजैक्शन की खरीददारी के लिए उन्हें भागदौड़ करनी पड़ी। कोरोना के बाद सोनू को ब्लैक फंगस ने घेर लिया। हिसार अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि सोनू के इलाज के लिए उसे एक दिन में एंफोटेरेसिन के 6 इंजैक्शन की जरूरत है। अस्पताल ने खुद 1 या 2 इंजैक्शन का ही प्रबंध किया। बाकी इंजैक्शन जब बाहर खरीदने के लिए निकले तो 6,150 रुपए वाला इंजैक्शन कैमिस्ट ने उन्हें 9,150 रुपए में देने की बात कही। एक दिन में पेशैंट को 60,000 रुपए में सिर्फ इंजैक्शन ही लगने थे। व्यवस्था इतनी खराब है कि कभी पेशैंट के रिश्तेदारों को इंजैक्शन के लिए सरकारी साइट पर लॉगइन करने के लिए कहा जा रहा है और कभी साइट काम ही नहीं करती। सोनू के रिश्तेदार का कहना है कि बाजार में ये इंजैक्शन क्यों बेचे जा रहे हैं? 

इंजैक्शन का खुद इंतजाम करने पर ही भर्ती कर रहे पेशैंट को
हरियाणा के वासु शर्मा ने बताया कि इन दिनों निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के पेशैंट्स को इस शर्त पर भर्ती किया जा रहा है कि पेशैंट के तीमारदार ही इंजैक्शन का इंतजाम करेंगे। अगर इंजैक्शन का बंदोबस्त नहीं किया जा सकता तो पेशैंट को भर्ती भी नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर आम व्यक्ति की किसी वी.आई.पी. या प्रशासनिक अधिकारी तक पहुंच नहीं है तो वो अपना इलाज कैसे करवाएगा?

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इंजैक्शन के लिए खा रहे हैं धक्के
देवेंद्र हुदिना की 60 साल की सास परवंती देवी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए गुरुग्राम के निजी अस्पताल में भर्ती है। परवंती देवी के पति आर्मी से सेवानिवृत्त हैं। देवेंद्र का कहना है कि देश की सेवा करने वालों के परिवार वालों के इलाज में भी सरकार इंजैक्शन उपलब्ध करवाने में कमजोर साबित हो रही है। डाक्टर्स का कहना है कि बुजुर्ग के इलाज के लिए दिन में 6 इंजैक्शन की जरूरत है परंतु उन्हें दिन में सिर्फ एक इंजैक्शन ही मिल पा रहा है। डाक्टर का कहना है कि 70 से 80 इंजैक्शन लगने के बाद ही उनकी सास का इलाज हो सकेगा परंतु अस्पताल इंजैक्शन उपलब्ध करने में अक्षम है। 

बच सकता था पेशैंट
हिसार में 27 साल के सुमित की एक दिन पहले ब्लैक फंगस और कोरोना से मौत हुई है। सुमित के रिश्तेदार ओमप्रकाश ने बताया कि पहले सुमित को बुखार आने पर हिसार के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसे सांस लेने में भी तकलीफ थी और डाक्टर्स ने उसके गले में भी कुछ बीमारी देखकर कहा कि पेशैंट को ब्लैक फंगस का संक्रमण हो गया है। उसको पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया। पी.जी.आई. में पेशैंट के 5 दिन तो टैस्ट ही चलते रहे। पी.जी.आई. में वैंटीलेटर न मिलने पर सुमित को मोहाली के निजी अस्पताल में भर्ती किया। चौबीस घंटे इलाज के लिए 1 लाख 60 हजार रुपए खर्च किए गए। उसके बाद भी जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो वापस पेशैंट को पी.जी.आई. ले गए। वहां सुमित को कोरोना ग्रस्त बताया गया और वैंटीलेटर पर डाला गया। अगले ही दिन पेशैंट की मौत हो गई। अगर अस्पतालों में पेशैंट को समय पर इलाज मिल जाए तो बहुत से पेशैंट्स की जान बच सकती है। 

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सरकार पेशैंट्स के प्रति जिम्मेदारी क्यों नहीं निभा रही?
हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने ब्लैक फंगस के पेशैंट्स का दर्द देखते हुए कहा कि यह बहुत ही दुख की बात है कि सरकार ब्लैक फंगस के पेशैंट्स को इंजैक्शन उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हो रही है। पहले कोरोना महामारी जब चरम पर था, तब भी पेशैंट्स को अस्पताल में भर्ती होने के लिए परेशान होना पड़ रहा था और आज भी ब्लैक फंगस के पेशैंट्स को इंजैक्शन के अभाव में भर्ती नहीं किया जा रहा है। सरकार अपनी जिम्मेदारी ठीक से क्यों नहीं निभा सकती?

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