सूरजकुंड में आज से भाजपा-संघ का जमावड़ा, मिशन 2019 फतह करने की तैयारी

Edited By Nisha Bhardwaj, Updated: 14 Jun, 2018 10:33 AM

faridabad surajkund bjp mission 2019

हर बार की तरह इस बार भी मिशन 2019 फतह करने के लिए सूरजकुंड में रणनीति तैयार करने के लिए भाजपा व संघ के आला नेता जुटेंगे। आज से चार दिन तक चलने वाली इस बैठक में अमित शाह द्वारा ली जाने वाली विधायकों व सांसदों की फीडबैक रिपोर्ट काफी अहम मानी जा रही...

फरीदाबाद (महावीर गोयल): हर बार की तरह इस बार भी मिशन 2019 फतह करने के लिए सूरजकुंड में रणनीति तैयार करने के लिए भाजपा व संघ के आला नेता जुटेंगे। आज से चार दिन तक चलने वाली इस बैठक में अमित शाह द्वारा ली जाने वाली विधायकों व सांसदों की फीडबैक रिपोर्ट काफी अहम मानी जा रही है। इसके लिए शाह ने अपने दूत लगाए हुए हैं जो फील्ड में जाकर विधायकों व सांसदों का फीड बैक ले रहे हैं। यह फीड बैक निश्चित करेगा कि विधायक व सांसद की आगामी चुनावों में टिकट कटेगा या नहीं। इसके साथ ही फीड बैक अच्छा न मिलने पर दूसरे चेहरों के नाम पर भी इस बैठक में चर्चा की जाएगी। अमित शाह सहित भाजपा व संघ के आला नेता इस बैठक में चुनावी टिप्स देकर जाएंगे। 

भाजपा ने मिशन-2019 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वर्ष 2014 व वर्ष 2016 के बाद अब भाजपा व संघ के आला नेता 14 जून से 17 जून तक सूरजकुंड में डेरा डालेंगे।  भाजपा ने सूरजकुंड में  सभी राज्यों के संगठन मंत्रियों का सम्मेलन बुलाया है। इस सम्मेलन में भाजपा के आला नेताओं के साथ-साथ आरएसएस के महासचिव भैय्याजी जोशी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शिरकत करेंगे। इस सम्मेलन में प्रतिदिन चार सत्र आयोजित किए जाएंगे। इस सम्मेलन से  फिलहाल सरकार के मंत्रियों, सांसदों व विधायकों को इस बैठक से दूर ही रखा गया है।

सूरजकुंड भाजपा के लिए काफी लकी साबित रहा है। सत्ता में आने के बाद भाजपा सूरजकुंड में आधा दर्जन से अधिक बार बैठकें और सम्मेलन कर चुकी हैं। वर्ष 2014 में भाजपा ने संघ के साथ मिलकर यहीं चुनावी रणनीति बनाई थी। जून 2014 में भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों के लिए सूरजकुंड में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था। इसके बाद वर्ष 2016 में पंजाब, गोवा, मणिपुर, उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड के चुनावों के लिए सितम्बर 2016 में भी भाजपा व संघ के माननीय सूरजकुंड में ही जमा हुए थे और चार राज्यों में चुनाव की चर्चा करते हुए जीत की रणनीति बनाई थी। इनमें से भाजपा ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में जहां जीत का इतिहास रचा था वहीं अन्य दो राज्यों में भी भाजपा ने फतेह हासिल की थी। 

जुलाई से सक्रिय होंगे विस्तारक
सूत्रों की मानें तो अमित शाह के दूत जो विस्तारक के नाम से जाने जाते हैं उन्हें जुलाई से फील्ड में भेजा जाएगा। ये विस्तारक इस बात का पता लगाएंगे कि वर्तमान विधायकों व सांसदों की छवि जनता के बीच कैसी है। यदि छवि नकारात्मक है  तो उसके क्या कारण रहे हैं। इसके अलावा यदि पार्टी किसी और उम्मीदवार को टिकट देने का मन बनाती है तो वह कौन-कौन से चेहरे हो सकते हैं, इसकी भी खोज शाह के ये दूत करेंगे।  फील्ड में उतरने से पूर्व अमित शाह सूरजकुंड में आयोजित इस सम्मेलन में इन दूतों को प्रशिक्षण देंगे कि इन्हें फील्ड में किस तरह से काम करना होगा। इसके अलावा भाजपा इस बैठक में वर्तमान जीती हुईं संसदीय सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी अधिक चर्चा करेगी जहां पार्टी लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही है।

नब्ज टटोलकर तैयार करेंगे फीड बैक
भाजपा में विस्तारकों की अहम भुमिका होती है। ये विस्तारक संघ के प्रचार के रूप में काम करते हैं। इन विस्तारकों द्वारा दी जाने वाली फीड बैक रिपोर्ट टिकट वितरण में काफी अहम रोल अदा करती है। सूत्रों की मानें तो हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों के अलावा 90 विधानसभा सीटों पर भी एक-एक विस्तारक काम करेगा। ये विस्तारकर पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं के अलावा आम जन की नब्ज टटोलते हुए फीड बैक तैयार करेंगे। इन विस्तारकों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाती है। "

संगठन मंत्रियों की भूमिका अहम 
इस सम्मेलन में भाजपा के संगठन मंत्रियों की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। दरअसल संगठन मंत्रियों में उन्हें ही नियुक्त किया जाता है जोकि आरएसएस से भाजपा में भेजे गए लोग होते हैं। ये संगठन मंत्री भाजपा के विधायकों व सांसदों की फीड बैक रिपोर्ट पेश करेंगे। इसके साथ ही अमित शाह के दूतों की फीड बैक रिपोर्ट के आधार पर निर्भर करेगा कि वर्तमान विधायक व सांसद का टिकट कटेगा या नहीं। अमित शाह इस सम्मेलन में चुनाव में जीत के टिप्स भी देंगे तथा फील्ड में जाकर फीड बैक रिपोर्ट तैयार करने वाले अपने दूतों को प्रशिक्षिण देंगे।  

अधिक सीटें जीतने पर होगा मंथन
इस चार दिवसीय सम्मेलन में इस बात पर भी मंथन होगा कि वर्ष 2014 से अधिक सीटें भाजपा वर्ष 2019 में हासिल करे। सूत्रों के अनुसार इस पर चर्चा की जाएगी। इस मुद्दे पर भी नीति तैयार की जाएगी कि विपक्ष एकजुट न हो। पार्टी ने हालांकि बूथ स्तर पर भी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना शुरू कर दिया है। पन्ना प्रभारियों को अधिक से अधिक उत्साह के साथ जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिन सीटों पर भाजपा सत्ता हासिल नहीं कर पाई और दूसरे नंबर पर रही, उन सीटों पर भी मंथन होगा ताकि वर्ष 2019 में भाजपा इस पर फतेह हासिल कर सके। 

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