Edited By Deepak Paul, Updated: 15 Jan, 2019 11:20 AM
जींद उपचुनाव के दंगल में कहीं राजनीतिक दलों की तो कहीं उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा दाव पर है। यह उपचुनाव उनके राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा। इसी बीच सोमवार को 6 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए। इसके बाद अब चुनावी दंगल में 21 उम्मीदवार रह...
जींद(जसमेर मलिक): जींद उपचुनाव के दंगल में कहीं राजनीतिक दलों की तो कहीं उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा दाव पर है। यह उपचुनाव उनके राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा। इसी बीच सोमवार को 6 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए। इसके बाद अब चुनावी दंगल में 21 उम्मीदवार रह गए हैं जिन्हें चुनाव चिन्ह सोमवार को आबंटित कर दिए गए। उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आबंटित करने का काम रिटॄनग अधिकारी विरेंद्र सहरावत ने किया। चुनावी दंगल में बिछी बिसात अब साफ होने के बाद इसमें तमाम प्रमुख दलों के दिग्गज ताल ठोकेंगे।
इस उपचुनाव में भाजपा और जे.जे.पी. की राजनीतिक दल के स्तर पर प्रतिष्ठा दाव पर है। भाजपा के सामने भी जींद में कमल खिलाने की सबसे बड़ी चुनौती है। यह उपचुनाव मनोहर लाल सरकार के लगभग सवा 4 साल के कार्यकाल पर जींद की जनता का एक तरह से जनादेश भी होगा। जींद उपचुनाव का नतीजा भाजपा के साथ-साथ प्रदेश सरकार की राजनीतिक साख का सवाल भी बन गया है। जहां तक जे.जे.पी. का सवाल है तो इस पार्टी की नींव जींद में रखी गई। यह उसका पहला विधानसभा चुनाव है और इसमें उसने अपने सबसे बड़े चेहरे दिग्विजय चौटाला को चुनावी दंगल में उतारकर सब कुछ दाव पर लगा दिया है। जे.जे.पी. के सामने इस उपचुनाव में खुद को साबित करने के साथ-साथ इस बात की चुनौती भी है कि वह खुद को पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की राजनीति का वारिस साबित कर सकें। इनैलो पर जींद सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने का दबाव बना हुआ है। सांसद राजकुमार सैनी की लोसुपा का भविष्य भी जींद उपचुनाव से तय होगा कि यह प्रदेश में कहां पर खड़ी है।