Edited By vinod kumar, Updated: 26 Sep, 2020 04:34 PM
बहादुरगढ़ नगर परिषद ने 88 लाख 68 हजार रूपये फ्रॉड मामले में आईडीबीआई बैंक को लीगल नोटिस भेजा है। परिषद ने बैंक से 88 लाख 68 हजार रूपये ब्याज सहित वापिस मांगे हैं। दरअसल, क्लोन चैकों के जरिए राम आसरे नाम के शख्स ने प्रधानमंत्री आवास योजना के खाते से...
बहादुरगढ़ (प्रवीण): बहादुरगढ़ नगर परिषद ने 88 लाख 68 हजार रूपये फ्रॉड मामले में आईडीबीआई बैंक को लीगल नोटिस भेजा है। परिषद ने बैंक से 88 लाख 68 हजार रूपये ब्याज सहित वापिस मांगे हैं। दरअसल, क्लोन चैकों के जरिए राम आसरे नाम के शख्स ने प्रधानमंत्री आवास योजना के खाते से 88 लाख 68 हजार रूपये निकाल लिए।
बहादुरगढ़ नगर परिषद का ये खाता आईडीबीआई बैंक में था। फ्रॉड करने वाले ने आठ अलग-अलग चैक लगाकर 88 लाख 68 हजार रुपये निकाले। उन चैकों पर नगर परिषद के ईओ और चेयरपर्सन के नकली हस्ताक्षर भी किए गए। परिषद ने अब खातों की जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
आईडीबीआई बैंक में प्रधानमंत्री आवास योजना का जो खाता नगर परिषद ने खुलवाया था। उस खाते को खुलवाते समय हस्ताक्षर का अधिकार केवल ईओ को ही दिया गया था। 28 अगस्त 2018 को ये खाता खोला गया और 2018 में ही आईडीबीआई ने चैक बुक जारी की थी। लेकिन जिन चैकों से नगर परिषद के खाते से पैसे निकाले गए वो चैक बुक बैंक ने परिषद को जारी की ही नहीं, क्योंकि 2018 की चैक बुक का पैटर्न अलग था और जिन चैकों से पैसे निकाले गए उन चैकों का पैटर्न अलग था, जो बैंक ने 2020 में ही शुरू किया था।
बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद अब परिषद आईडीबीआई बैंक से अपने खाते बंद करने की योजना भी बना रही है। इसी बीच आईडीबीआई बैंक की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। नगर परिषद के म्युनिसिपल इंजीनियर अमन के सैलरी अकाउंट के लिए जारी की गई चैक बुक के पहले 10 चैक गायब हैं। यही नहीं अमन की चैक बुक में करीब 10 चैक किसी सर्वजीत कौर के नाम से भी जोड़ दिए गए हैं।
चैकबुक सीरियल नम्बर 362921 से 362945 तक जारी की गई, लेकिन चैक बुक में चैक की शुरूवात सीरियल नम्बर 362921 की बजाए 362931 से हो रही है। इस बारे अमन का कहना है कि मेरे नाम की चैकबुक में सर्वजीत कौर के चैक भी जोड़कर दिए हैं। उन्होंने जब बैंक में बात की तो ठीक से जवाब भी नहीं मिला।
बहरहाल नगर परिषद के साथ हुई ठगी में हर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं। इनमें बैंक की लापरवाही के तथ्य अब प्रमुख तौर पर स्पष्ट भी होने लगे हैं। ऐसे में पुलिस की जांच में बैंक पर शिकंजा कसना भी अब तय माना जा रहा है।