जानिए कौन थे आनंद प्रकाश, जिन्होंने 26 साल तक लड़ी रुचिका को न्याय दिलाने की लड़ाई

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Jan, 2018 02:01 PM

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चंडीगढ़ की छात्रा और टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा मामले में पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले आनंद प्रकाश का निधन हो गया। आनंद प्रकाश व उनकी पत्नी मधु में एसपीएस राठौर के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। आनंद प्रकाश की मृत्यु आज सुबह हुई।...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): चंडीगढ़ की छात्रा और टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा मामले में पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले आनंद प्रकाश का निधन हो गया। वे डेढ़ साल से कैंसर से पीड़ित थे। आनंद(74) रुचिका की दोस्त अनुराधा के पिता थे। 

कल होगा आनंद प्रकाश का अंतिम संस्कार
आनंद प्रकाश का अंतिम संस्कार 13 जनवरी को मनीमाजरा के श्मशान घाट में किया जाएगा। उनकी छोटी बेटी अनुराधा जो कि रुचिका की दोस्त थी इन दिनों पंचकूला में ही रहती हैं लेकिन उनकी बड़ी बेटी अनुराधिक अमेरिका में रहती हैं। उनके यहां पहंचने के बाद ही आनंद प्रकाश का अंतिम संस्कार किया जाएगा। आनंद प्रकाश पिछले डेढ़ साल से कैंसर से पीड़ित थे और उनका चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज चल रहा था। 

महिला टेनिस खिलाड़ी थी रुचिका
महिला टेनिस खिलाड़ी 14 साल की रुचिका गिरहोत्रा पंचकूला की रहने वाली थी। 1990 में तत्कालीन आईजी एसपीएस राठौर जो हरियाणा टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उन पर रुचिका ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इस घटना के बाद कोर्ट में केस चला। जिसके बाद घटना के तीन साल बाद 1993 में रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी।

रुचिका केस में आनंद के परिवार ने राठौर पर लगाए थे आरोप
पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौर (एसपीएस राठौर) पर 1990 में 14 वर्षीय रुचिका गिरहोत्रा से छेड़छाड़ का आरोप लगा था। शिकायतकर्ता आनंद प्रकाश, उसके परिवार और सहेली अनुराधा ने आरोप लगाया था कि राठौर ने रुचिका के साथ छेड़छाड़ की। उसके परिवार को कई तरह से प्रताड़ित किया गया। घटना के तीन साल बाद 1993 में रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद राठौर पर धारा 306 के तहत केस दर्ज कर लिया था।
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SC में याचिका दायर करने पर राठौर को मिली थी जमानत
22 दिसंबर 2009 को घटना के 19 साल के बाद निचली अदालत ने राठौर को धारा 354 आईपीसी (छेड़छाड़) का दोषी करार देते हुए 6 महीने की कैद और 1,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बढ़ाकर 18 महीने कर दिया था। राठौर ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और 11 नवंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने राठौर को सशर्त जमानत दे दी थी। जिसके बाद शिकायतकर्ता आनंद प्रकाश इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए थे। तब आनंद प्रकाश ने कहा था कि सीबीआई ने दबाव में आकर क्लोजर रिपोर्ट दायर तैयार की है। रिपोर्ट के बारे में मुझे भी विश्वास में लिया जाना चाहिए था। परंतु इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए उन्होंने मामले में क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी।

राठौर के खिलाफ नहीं मिले थे सबूत
आशु गिरहोत्रा ने शिकायत में आरोप लगाया था कि हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी एसपीएस राठौर के इशारे पर उस पर गाड़ी चोरी के एक झूठे मामले दर्ज किए गए थे। हिरासत में शोषण किया गया, जबकि एससी गिरहोत्रा का आरोप था कि रुचिका की मौत के बाद खाली कागजात पर उनसे साइन करवाकर उनकी बेटी की पोस्टमॉर्टम की औपचारिकताओं को पूरा कर दिया गया था। क्लोजर रिपोर्ट के मुताबिक जांच में राठौर के खिलाफ कोई भी सुबूत नहीं मिले थे।
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आनंद प्रकाश ने 26 साल तक लड़ा रुचिका केस
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने राठौड़ की सजा को बरकरार रखा लेकिन उसे जेल जाने से राहत दी। कोर्ट का कहना था कि उन्होंने जेल में जो सजा काटी वह काफी है इसलिए अब राठौड़ को जेल नहीं जाना होगा। आनंद प्रकाश अौर उनकी पत्नी मधु प्रकाश के प्रयासों के बाद ही राटौर को आरोपी माना गयआ। उन्होंने 26 साल तक ये लड़ाई लड़ी थी। उनको खुशी थी कि भले ही कोर्ट ने राठौड़ की सजा माफ कर दी लेकिन कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया था। 

वर्णिका मामले में भी किया था आंदोलन
इतना ही नहीं आनंद प्रकाश अौर उनकी पत्नी मधु प्रकाश ने हाल ही में हुए वर्णिका छेड़छाड़ मामले में भी केंडल मार्च व जन आंदोलन किया था। 
 

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