प्रदेश के गांवों में चल रहे हैं शराब के 950 ठेके

Edited By Isha, Updated: 27 Nov, 2019 12:20 PM

950 liquor contracts are running in the villages of the state

एक तरफ जहां हरियाणा सरकार आगामी सत्र से प्रदेश के गांवों में शराबबंदी लागू करने जा रही है वहीं मौजूदा समय में राज्य के 950 गांव ऐसे हैं जहां शराब के ठेके चल रहे हैं जबकि 700 से अधिक गांव ऐसे हैं

करनाल (शर्मा): एक तरफ जहां हरियाणा सरकार आगामी सत्र से प्रदेश के गांवों में शराबबंदी लागू करने जा रही है वहीं मौजूदा समय में राज्य के 950 गांव ऐसे हैं जहां शराब के ठेके चल रहे हैं जबकि 700 से अधिक गांव ऐसे हैं जिनकी सीमाएं शहरों अथवा कस्बों से सटी हुई हैं और वहां शराब के ठेके चल रहे हैं।

हरियाणा की भाजपा व जजपा सरकार ने चुनाव से पहले अपने-अपने स्तर पर गांवों में शराब के ठेके बंद करवाने अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में शराबबंदी करने का ऐलान किया था। सत्ता में आने के बाद दोनों दलों का भले ही अभी तक कॉमन मिनीमम प्रोग्राम जारी नहीं हुआ है लेकिन गांवों में शराब के ठेके बंद करने पर दोनों दल पूरी तरह से सहमत हैं जिसके चलते मनोहर कैबिनेट की पहली बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है।

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट के आदेशों के बाद हरियाणा के गांवों में शराब ठेके न खोलने का प्रावधान पहले से ही लागू है लेकिन गांवों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव रहा है। हरियाणा में इस समय शराब के कुल 2259 ठेके हैं जिनमें से 950 ग्रामीण अंचल में तो 765 शराब ठेके ग्रामीण-अर्बन की संयुक्त सीमा में चल रहे हैं। प्रदेश में कुल 6848 गांव तथा 6222 पंचायतें हैं। शराब ठेकों के लिए 1 अप्रैल से शुरू हुए वर्ष के दौरान कुल 304 पंचायतों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में शराब के ठेके न खोलने के संबंध में प्रस्ताव पारित करके आबकारी एवं कराधान विभाग को भेजा गया जिनमें से केवल 57 पंचायतों के प्रस्तावों पर ही विभाग ने अपनी स्वीकृति प्रदान करने की मोहर लगाई।

48 पंचायतों द्वारा पारित प्रस्तावों में कई तरह की खामियां होने के चलते उन्हें खारिज कर दिया गया। इसके अलावा 199 प्रस्ताव ऐसे थे जो या तो अधूरे थे या तय समय सीमा के बाद विभाग के पास दाखिल किए गए। विभाग का तर्क है कि ज्यादातर प्रस्ताव तब मिले जब शराब के ठेकों की साइटें अलाट हो चुकी थीं।

 विभागीय अधिकारियों का मानना है कि गुरुग्राम समेत कुछ जिले ऐसे हैं जहां लोग इसका विरोध नहीं करते हैं जबकि रेवाड़ी, नारनौल, झज्जर आदि ऐसे जिले हैं जहां लोग खुलकर इनका विरोध करते हैं। अब सरकार ने फिर से 31 दिसम्बर तक समय सीमा बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी ग्रामीणों को मौका दिया है कि वे शराब का ठेका खोलने के विरोध में प्रस्ताव पारित करके दें जिसके बाद संबंधित गांव में शराब का ठेका नहीं खुलेगा।

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