Edited By Isha, Updated: 05 May, 2021 05:28 PM
इरादें हो मजबूत और जीत का हो जज्बा, तो कोई भी लड़ाई मुश्किल नहीं होती और बुलंद हौंसले वाले हमेशा जीतते हैं। इसे आज 95 साल की बुजुर्ग महिला चांदबाई ने चरितार्थ किया। बुजुर्ग महिला कोरोना से पीडि़त थी और उसने अपनी हिम्मत व अपने जोश से कोरोना को
कोसली (योगेंद्र सिंह) : इरादें हो मजबूत और जीत का हो जज्बा, तो कोई भी लड़ाई मुश्किल नहीं होती और बुलंद हौंसले वाले हमेशा जीतते हैं। इसे आज 95 साल की बुजुर्ग महिला चांदबाई ने चरितार्थ किया। बुजुर्ग महिला कोरोना से पीडि़त थी और उसने अपनी हिम्मत व अपने जोश से कोरोना को मात दी और आज सकुशल घर पहुंची। अब यह बुजुर्ग महिला दूसरों का हौंसला बढ़ा रही है।
असल में कोसली के गांव भडंगीं रहने वाली बुजुर्ग महिला चांदबाई कोरोना की चपेट में आ गई थी। कोसली के सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और इलाज का दौर शुरू हुआ। अधिक उम्र के चलते घर के परिजनों की नींद उड़ी हुई थी। हॉस्पिटल से फोन आते ही अनहोनी की आशंकाएं उनके दिलों की धडक़न बढ़ा रही थीं। दूसरी ओर चांदबाई थीं कि उनमें जीने की ललक थी और अपने स्वस्थ्य होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थीं। शायद यही कारण रहा कि चांदबाई के हौंसलें के सामने कोरोना ने भी घुटने टेक दिए। इतनी उम्र में कोरोना की जंग जीतने पर चिकित्सक भी हैरान थे और यही कारण रहा कि बुधवार को जब चांदबाई को डिस्चार्ज किया तो पूरे स्टॉफ ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। अब चांदबाई दूसरे मरीज एवं लोगों से भी अपील कर रहीं हैं कि कोरोना से डरे नहीं, हौंसला बुलंद रखें जीत अवश्य होगी।
23 अप्रैल को खराब हुई थी तबीयत
बुजुर्ग महिला के बेटे सुबेदार मेजर हरबीर ने बताया कि 23 अप्रैल को तबीयत खराब होने पर मां की तबीयत खराब हुई और उनका कोरोना टेस्ट कराया गया। 28 अप्रैल को वह रिपोर्ट में पॉजिटिव आईं। इस पर उन्हें कोसली हॉस्पिअल में भर्ती कराया गया। यहां चिकित्सकों ने भी उनकी अच्छी केयर की और यही कारण है कि आज वह सकुशल घर आ गईं। एसएमओ डा. चितरंजन का कहना है कि हम और हमारा स्टॉफ हर मरीज को बेहतर ट्रीटमेंट दे रहे हैं और उनका जोश बनाए हुए हैं। ९५ साल की चांदबाई ठीक होकर आज घर गईं इससे हमारा भी हौंसला बढ़ता है।
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