रोशनी में दब कर रह गया शहीदों के परिजनों का गम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 21 Oct, 2017 12:38 PM

death of the martyrs

दीपावली का त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया गया परंतु इस प्रकाशमयी उत्सव के पीछे गहन अंधेरे में कुछ एेसे सुबकते हुए परिवारों का रुदन भी सिमटा था जिन्होंने अपने घरों के चिराग राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान कर दिए। दीवाली पर इन परिवारों का गम...

तारागढ़/पठानकोट (आदित्य, शारदा): दीपावली का त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया गया परंतु इस प्रकाशमयी उत्सव के पीछे गहन अंधेरे में कुछ एेसे सुबकते हुए परिवारों का रुदन भी सिमटा था जिन्होंने अपने घरों के चिराग राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान कर दिए। दीवाली पर इन परिवारों का गम रोशनियों में कहीं दबकर रह गया। एेसे परिवारों के लिए यह पर्व करुणामयी सिसकियों के साथ अपने लाडलों को स्मरण करते हुए बीता।

 गांव साहबचक्क के शहीद सिपाही सुनील कुमार की माता जीतो देवी व पिता कैप्टन सोहन लाल ने यह पवित्र त्यौहार अपने शहीद बेटे की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित करते हुए उसे पुष्पांजलि अॢपत कर मनाया। इस अवसर पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद परिवार का दुख बांटा। उन्होंने बताया कि एेसे शहीद परिवारों के साथ एेसे महोत्सव मनाने से उन्हें असीम सुकून मिलता है, वहीं शहीदों के परिजनों को आंशिक ढाढस तो बंधता है तथा उनका मनोबल भी ऊंचा रहता है।

पीड़ा के समुद्र में डूबे शहीद सिपाही सुनील कुमार के माता-पिता ने सजल नेत्रों से बताया कि उनके 20 वर्षीय लाडले ने 4 नवंबर, 2006 को कश्मीर की बर्फीली चोटियों पर दुश्मन से लोहा लेते हुए शहादत का जाम पिया था। शहीद की माता जीतो देवी ने नम आंखों से बताया कि उनके बेटे ने दीवाली पर घर आने का वायदा किया था। बेटे की शहादत को 11 वर्ष गुजर जाने के बावजूद राजनेताओं द्वारा की गई घोषणाओं को अमली जामा नहीं पहनाया गया जिससे उनकी भावनाएं आहत हैं। इस मौके पर शहीद के भाई अमित कुमार, सौरव कुमार, भाभी किरण व सुमन आदि उपस्थित थे। 

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