Edited By Updated: 25 Nov, 2015 01:46 PM
ये डरावनी सच्चाई है कि अमीर गरीब की खाई बढ़ती जा रही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि...
जाखल (बृजपाल): ये डरावनी सच्चाई है कि अमीर गरीब की खाई बढ़ती जा रही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम नशा तस्करी, चोरी या अन्य अपराधों में धंसते जाए।
हालांकि हर कोई सोचता है कि वो एक बार अपराध कर अपराध में से निकल कर फिर सामान्य जीवन व्यतीत करने लगेगा जबकि ऐसा न तो वो खुद ही कर पाता है न ही अपराध में धकेलने बाला उसे निकलने देता है। कुछ न होने का डर जहां उन्हें डराता रहता है वहीं उनमें कुछ खोने का डर भी बना रहता है। अमीरों की दौलत के पहरे के लिए सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे रहते हैं। किसी की चीज को बिना मेहनत चाह लेना ही अपराध को जन्म देता है।
ऐसी ही स्थिति इन दिनों जाखल गांव, बाजीगर बस्ती व गुरुद्वारा बस्ती के मुफलिसी में गुजर बसर कर रहे लोगों की सच्ची तस्वीर देखने से पता चलता है कि उपरोक्त गांव व बस्तियों में अपराधी प्रवृत्ति के लोग मैडीकल नशा, समैक, चरस, गांजा सहित अनेक नशों को बेचने में गरीब मजलूम लोगों को अपराध में धकेल रहे हैं।
यही नहीं नशा तस्कर अपने बच्चों सहित गरीबों के छोटे-छोटे बच्चों को पैसे आदि का लालच देकर उन्हें गुनाहों की भट्ठी में झोंकने का काम कर रहे हैं। इन तस्करों के बुलंद हौसलों को देख कर अन्य युवा भी चोरी, छिनाझपटी, उठाईगिरी जैसे अपराधों को भी अंजाम देने में गुरेज नहीं है।