Edited By Updated: 31 Aug, 2016 06:27 PM
यमुना नदी में पिछले कई दिनों से बह रहे हजारों क्यूसिक पानी और लगातार हो रहे अवैध खनन के चलते एक बार फिर से यमुनानगर जिले...
यमुनानगर (सुमित ओबरॉय): यमुना नदी में पिछले कई दिनों से बह रहे हजारों क्यूसिक पानी और लगातार हो रहे अवैध खनन के चलते एक बार फिर से यमुनानगर जिले के हजारों लोगों की जान पर खतरा मंडराने लगा है। इतना ही नहीं लगातार हो रहे अवैध खनन के चलते देश के ऐतिहासिक बैराज में शामिल हथनीकुंड बैराज के अस्तित्व पर भी खतरा पैदा हो गया है। हालांकि स्थानीय लोगों ने इस बारे में प्रशासन के अधिकारियों को भी सूचित किया, लेकिन कार्रवाई की बजाए सरकारी अधिकारियों ने भी अवैध रूप से हो रहे खनन को सही ठहरा दिया। इतना ही नहीं अवैध रूप से खनन कर क्रशर चला रहे लोगों ने तो अब रेत व बजरी से भरे वाहनों से अवैध वसूली भी शुरू कर दी है और इस काम में बकायदा पुलिस भी उनका सहयोग कर रही है। अवैध रूप से हो रहे खनन के कारण यदि हथनीकुंड बैराज गिरा तो हरियाणा के साथ-साथ देश की राजधानी दिल्ली तक तबाह हो जाएगी।
बता दें कि 12 मई 1994 में हथनीकुंड बैराज का शिलान्यास किया गया था। उस समय हरियाणा के सीएम भजनलाल के अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, दिल्ली के सीएम मदनलाल खुराना के अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मौजूद थे। पांचों राज्यों के सीएम की मौजूदगी में हथनीकुंड बैराज बनने के बाद यहां से होने वाले पानी के वितरण को लेकर भी सीमा तय की गई थी।
पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह ने कहा कि सन 2005 में यमुना नदी में महज 80 हजार क्यूसिक पानी आया था, लेकिन अवैध खनन के कारण उस पानी ने बहुत तबाही मनाही थी। उस समय विधायक होने के नाते पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलकर उन्होंने उस नुकसान को ठीक करवाया था और उसके कुछ समय बाद खनन पर पाबंदी लगा दी गई थी। अब सरकार ने एक बार फिर से खनन को खोलते हुए बोली कर खनन करने के स्थान तय किए है, लेकिन पूर्व विधायक की माने तो माफिया उस स्थान की बजाए यमुना नदी में ही खनन कर रहा है।
पूर्व विधायक ने आरोप लगाया कि सरकार भी इस गैर कानूनी काम को सही बताकर उन लोगों को सुरक्षा दे रही है। इसके अलावा सरकार जनता की आवाज भी नहीं सुन रही है। उनके अनुसार यमुना में पानी आने पर यहां भी केदारनाथ की तरह से ही तबाही होगी। वहां पर तो पत्थर व पहाड़ की आड़ में कुछ बचाव हो गया था, लेकिन यहां पर कुछ भी नहीं बचेगा।