मापदंडों व नियमों को ताक पर रख चल रही फैक्ट्रियां

Edited By Deepak Paul, Updated: 19 Mar, 2019 12:02 PM

factories that keep the parameters and rules in mind

जगाधरी शहर में सैंकड़ों की संख्या में बनी छोटी-बड़ी फैक्टरियों नियमों में मापदंड की परवाह

यमुनानगर (भारद्वाज): जगाधरी शहर में सैंकड़ों की संख्या में बनी छोटी-बड़ी फैक्टरियों नियमों में मापदंड की परवाह किए बिना चल रही हैं। जगाधरी निवासी इन फैक्टरियों से निकलते हुए धुएं, ध्वनि और कैमिकलयुक्त पानी से भारी परेशान है। यहां तक कि कुछ फैक्टरियां तो ऐसी भी हैं जो जगाधरी की तंग गलियों में बनाई गई हैं। कई कालोनियों में तो घरों के अंदर ही फैक्टरियां स्थापित कर रखी हैं जो कि कई वर्षों से बिना किसी मापदंड पूरे किए और एन.ओ.सी. लिए बिना ही चलाई जा रही हैं।

इन फैक्टरियों में असंख्य मजदूर काम करते है। बता दें कि जगाधरी में मेटल का कार्य किया जाता है। पहले यहां पर पीतल के बर्तन भी बनाए जाते हैं। यहां पर बनाए गए बर्तनों की मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी की जाती थी। धीरे-धीरे पीतल धातु की जगह स्टील ने ले ली और अब यहां स्टील का प्रयोग कर बर्तन बनाए जा रहे हैं। फैक्टरियों में बर्तन बनाने का काम किया जा रहा है। पंजाब केसरी टीम ने जगाधरी की कल्याण नगर, पटरी मोहल्ला, दुर्गा गार्डन, शांति कालोनी, मुखर्जी पार्क आदि कालोनियों में बनी फैक्टरियों का दौरा किया तो अनेक खामियां देखने को मिली। 

फैक्टरी के गेट पर नाम तक नहीं अंकित 
देखने में आया है कि शहर की अधिकतर फैक्टरियों के मेन गेट पर कोई बोर्ड तक नहीं लगा होता कि यहां पर क्या बनाया जाता है और किस प्रकार का उद्योग यहां चल रहा है। आम तौर पर देखने में तो किसी बड़े घर का मेन गेट लगता है परंतु अंदर चल रही मशीनों की आवाजों से पता चलता है कि यहां पर तो फैक्टरी लगाई गई है। यदि ऐसे में कोई प्रशासनिक अधिकारी भी आकर चैक करना चाहे तो वह भी चकमा खा जाते हैं और कोई कानूनी कार्रवाई करने में असमर्थ हो जाते हैं। 

मजदूरों के हितों से कर रहे खिलवाड़
अधिकतर फैक्टरी मालिक सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते नजर नहीं आ रहे। मजदूरों के हितों के लिए जो जरूरी कानून है, उनकी भी पालना नहीं की जा रही है। नियमानुसार मजदूर चाहे किसी भी श्रेणी का हो उसके लिए वर्दी, दस्तानें, मास्क, दुर्घटना बीमा, ई.एस.आई. कार्ड आदि की सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए परंतु ऐसा कही भी देखने में नहीं आया। मजदूरों ने बताया कि फैक्टरी मालिकों द्वारा मजदूरों का शोषण किया जा रहा है। यहां तक कि उन्हें पूरा मेहनताना भी नहीं दिया जाता। यदि फैक्टरी में कोई दुर्घटना हो जाती है तो फैक्टरी मालिक कर्मचारी का ही दोष निकालकर पल्ला झाड़ लेते हैं। पूर्व समय में कई बार ऐसा हो भी चुका है। यदि अतिरिक्त समय काम करते है तो ओवरटाइम देना तो दूर उलटा उनके पैसे काट लिए जाते हैे।

आग बुझाने के नहीं हैं पुख्ता प्रबंध
अधिकतर फैक्टरियों में आग बुझाने वाले यंत्र नहीं पाए गए। जगाधरी ऐतिहासिक शहर है जिसकी अधिकतर गलियां संकरी है और संकरी गलियों में फैक्टरियां स्थापित हैं। जिनमें से फायर ब्रिगेड की गाड़ी तो क्या आमने सामने आ रही बाइक भी नहीं निकल सकती। ऐसे में यदि आग लगने जैसी कोई दुर्घटना घट जाए तो जब तक फायर ब्रिगेड पहुंचेगी, तब तक सब कुछ स्वाहा हो चुका होगा। नियमों व मापदंडों के अनुसार तो फैक्टरी में फायर टैंक व वाटर टैंक की व्यवस्था की जानी चाहिए और आग बुझाने वाले यंत्रों को हर समय पर भरकर तैयार रखना चाहिए ताकि किसी भी समय जरूरत पडऩे पर प्रयोग किया जा सके। 

फैक्टरी मालिक के खिलाफ होगी कार्रवाई : एस.डी.ओ.
इस संबंध में प्रदूषण विभाग के एस.डी.ओ. शैलेंद्र अरोड़ा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसी फैक्टरियों के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है। अभी हाल ही में सरप्राइज चैकिंग कर 5 फैक्टरियों को बंद करवा दिया गया है। भविष्य में नियमों व मापदंड पूरा न करने वाले फैक्टरी मालिकों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।


 

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