Edited By Isha, Updated: 26 Jun, 2019 12:26 PM
मानसून की धीमी चाल का असर जिले में प्री मानसून की बरसात पर भी पड़ रहा है। आलम यह है कि जून माह पिछले 5 साल में अब तक सबसे अधिक सूखा साबित हो रहा है। जिले में अब तक औसतन करीब
सोनीपत: मानसून की धीमी चाल का असर जिले में प्री मानसून की बरसात पर भी पड़ रहा है। आलम यह है कि जून माह पिछले 5 साल में अब तक सबसे अधिक सूखा साबित हो रहा है। जिले में अब तक औसतन करीब 20 एम.एम. बरसात ही दर्ज हो पाई है जिसके चलते एक तरफ जहां लोगों को गर्मी और उमस का सामना करना पड़ रहा है, वहीं खरीफ की विभिन्न फसलों के रकबे पर भी गहरा असर दिखाई दे रहा है। मौसम से सम्बंधित परिस्थितियों पर कृषि विभाग भी पैनी नजर बनाए हुए है।
दरअसल, दिल्ली-एन.सी.आर. क्षेत्र में आमतौर पर 29 जून को मानसून दस्तक दे देता है। जिले में भी जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून की झमाझम बरसात होती है। इससे पहले 13 जून के करीब प्री मानसून जिले में दस्तक देता है। जून माह में होने वाली प्री मानसून की बरसात खरीफ सीजन के रकबे को बढ़ाने के लिए प्लेटफार्म का काम करती है। किसान बड़ी संख्या में ज्वार, कपास, मक्का और धान की बिजाई व रोपाई का काम शुरू कर देते है। परन्तु इस बार जून माह में नाममात्र की बरसात होने की वजह से किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
महज 2 हजार हैक्टेयर में ही हो पाई है धान की रोपाई
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान को माना जाता है। जिले में इस बार करीब 95 हजार हैक्टेयर भूमि में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा गया है। 15 जून के बाद धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया जाता है, परन्तु इस बार जून माह में बरसात न होने की वजह से धान की रोपाई का काम बेहद धीमी चल रहा है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक करीब 2 हजार हैक्टेयर भूमि में ही किसानों ने धान की फसल लगाई है। इसके अतिरिक्त करीब 7 हजार हैक्टेयर भूमि में ज्वार की बिजाई की जा चुकी है, बरसात न होने की वजह से किसानों को ज्वार की सिंचाई बार-बार करना पड़ रही है। मक्के की बात करते तो अब तक करीब 2500 हैक्टेयर भूमि में मक्के की बिजाई की जा चुकी है, वहीं कपास का रकबा 5800 हैक्टेयर तक पहुंच पाया है। जिले में 2 लाख हैक्टेयर से अधिक भूमि में फसलों की बिजाई व रोपाई की जाती है।