सॉफ्टवेयर सुधारेगा बचपन : अव्यस्क नहीं देख सकेंगे कम्प्यूटर में अश्लील फिल्में

Edited By vinod kumar, Updated: 21 Jan, 2020 01:40 PM

minors will not be able to watch pornographic films on computer

इंटरनैट पर अश्लील और डार्कनैट साइटों से प्रभावित हो रहे बचपन को बचाने के लिए सोनीपत में डी.ए.वी. स्कूल के विद्यार्थी परितोष दहिया ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। परितोष दहिया ने एक चाइल्ड सेफ वैब ब्राऊजर तैयार किया है जिसके इस्तेमाल से 18 वर्ष से कम...

 सोनीपत(संदीप): इंटरनैट पर अश्लील और डार्कनैट साइटों से प्रभावित हो रहे बचपन को बचाने के लिए सोनीपत में डी.ए.वी. स्कूल के विद्यार्थी परितोष दहिया ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। परितोष दहिया ने एक चाइल्ड सेफ वैब ब्राऊजर तैयार किया है जिसके इस्तेमाल से 18 वर्ष से कम आयु के विद्यार्थी पोर्न या अश्लील साइटों को नहीं खोल पाएंगे। चाइल्ड सेफ वैब ब्राऊजर की खोज की उपलब्धि पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर परितोष दहिया को राष्ट्रपति द्वारा बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

इस अवसर पर डी.ए.वी स्कूल, सोनीपत में छात्र का स्वागत किया गया। दरअसल, इंटरनैट के व्यापक उपयोग से बच्चे अश्लीलता व डार्कनैट के संपर्क में आ रहे हैं जिसका बच्चों पर भावनात्मक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इंटरनैट के इस दुष्प्रभाव को कम करने के लिए परितोष दहिया में चाइल्ड सेफ वैब ब्राऊजर को तैयार करने का जुनून पैदा हुआ और उसने कड़ी मेहनत करते हुए 3200 ङ्क्षफगर पिं्रट के आंतरिक डाटाबेस का उपयोग कर अंगुलियों के निशान से आयु का अनुमान लगाने वाले सॉफ्टवेयर को तैयार किया। 

इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग पोर्न व डार्कनैट जैसी वैबसाइटों को स्वचालित रूप से उपयोगकत्र्ता को ब्लाक करने में किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर में 3 आयु के समूह का वर्गीकरण किया जाएगा जिसमें 5 से 14, 5 से 18 और 19 से अधिक का समूह शामिल है। 

अब फेस इम्पै्रशन से खुलने वाला सॉफ्टवेयर बनाने की तैयारी 
परितोष दहिया का कहना है कि वह प्रोग्रामिंग आॢटफिशियल इंटैलीजैंस व एनीमेशन में आगे बढऩा चाहता है। इस क्षेत्र में उसने चाइल्ड वैब ब्राऊजर सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है। यह सॉफ्टवेयर थम इम्प्रैशन की लाइनों में माध्यम से आयु का अनुमान लगाता है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से बच्चों द्वारा पोर्न व डार्कनैट जैसी साइटों को देखने पर अंकुश लगाया जा सकता है। परितोष दहिया ने बताया कि साइंस के अनुसार ङ्क्षफगर प्रिंट में कोई बदलाव नहीं होता परंतु बढ़ती उम्र के साथ ङ्क्षफगर प्रिंट की लाइनें मोटी व चौड़ी होने लगती हैं जिससे आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।

अब इस सॉफ्टवेयर को अपग्रेड कर एंड्रॉयड फार्मेट में तैयार किया जाएगा ताकि इसे मोबाइल फोन में भी चालू किया जा सके। वही, कम्प्यूटर में इस सॉफ्टवेयर के प्रयोग के लिए फेस के माध्यम से आयु अनुमान करने के सॉफ्टवेयर में भी अपग्रेड करने पर शोध किया जा रहा है। जिसके लिए सरकार की मदद की आवश्यकता है ताकि  इस पर जल्द ही शोध पूरा कर आगे बढ़ा जा सके और किशोर अवस्था के बच्चों को अश्लील व डार्कनैट साइटों से बचाया जा सके। 

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