JNU के बाद अब अशोका यूनिवर्सिटी की ‘उदारता’ पर उठे सवाल

Edited By Updated: 14 Oct, 2016 10:38 AM

haryana university resignation

वैचारिक स्वतंत्रता एवं उदारता के लिए विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में होने का दावा करने वाली सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी की ‘उदारता’ पर यहां के पूर्व विद्यार्थियों व कुछ स्टाफ सदस्यों ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

सोनीपत (संजीव दीक्षित): वैचारिक स्वतंत्रता एवं उदारता के लिए विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में होने का दावा करने वाली सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी की ‘उदारता’ पर यहां के पूर्व विद्यार्थियों व कुछ स्टाफ सदस्यों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में कश्मीर में मारे गए आतंकी बरहान वानी के मामले के बाद वहां पर उपजी हिंसा पर यूनिवर्सिटी से सम्बंधित कुछ विद्यार्थियों द्वारा एक याचिका जम्मू-कश्मीर की सरकार को ई-मेल की गई थी, जिस पर घमासान मच गया है। 

याचिका में वहां की सरकार को कश्मीर में असैन्यीकरण करने व जनमत संग्रह की सलाह दी गई है। इस मामले के बाद यूनिवर्सिटी के 2 स्टाफ सदस्यों ने इस्तीफा दें दिया है जबकि एक अन्य पर दबाव बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस सदस्यों पर इस्तीफा देने के लिए दबाव दिया है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ने अपने ई-मेल नियम भी सप्ताहभर में ही बदल दिए। वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को बिना बात तूल देने की बात कही है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह किसी प्रकार के विवाद में यूनिवर्सिटी के नाम का इस्तेमाल होने से बचने के लिए अपने ई-मेल नियम बदल रही है। 

जानकारी के अनुसार गत जुलाई माह में कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के मामले पर एक बहस शुरू हो गई थी। सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी की ई-मेल इस्तेमाल करने वाले कुछ पूर्व छात्रों ने एक याचिका जम्मू-कश्मीर सरकार के नाम ई-मेल की। इस याचिका में सरकार को सलाह दी गई है कि कश्मीर में असैन्यीकरण किया जाए और जनमत संग्रह का प्रयास किया जाए। 

बताया गया है कि इस याचिका पर कुछ पूर्व व वर्तमान छात्रों के अलावा यूनिवर्सिटी के 2 वरिष्ठ सदस्यों सौरभ गोस्वामी व आदिल शाह मुश्ताक ने भी पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद हाल ही में संयोगवश इन्हीं 2 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा एक अन्य सदस्य पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद से ही यूनिवर्सिटी ने अपने ई-मेल के नियम बदलते हुए यूनिवर्सिटी से सम्बंधित सभी ई-मेल को अपनी निगरानी में रखने का फैसला लिया है। यानि अब यूनिवर्सिटी की वैबसाइट या ई-मेल के जरिए की जाने वाली हर गुफ्तगूं पर यूनिवर्सिटी की नजर रहेगी। इस पूरे प्रकरण के बाद यूनिवर्सिटी के कुछ पूर्व छात्रों ने इसके उदार व वैचारिक स्वतंत्रता के दावे पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। 

इस मामले में यूनिवर्सिटी के वी.सी. ने ई-मेल कर बताया है कि यूनिवर्सिटी उदार व वैचारिक स्वतंत्रता के पक्षधरों में अग्रिम है लेकिन किसी प्रकार के विवाद में यूनिवर्सिटी के नाम का इस्तेमाल होने की इजाजत नहीं है। 

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