‘आया राम-गया राम’ के प्रदेश में शुरू हुआ सियासी ‘गठबंधनों’ का दौर

Edited By Deepak Paul, Updated: 10 Feb, 2019 11:29 AM

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हरियाणा में चुनावी वर्ष की शुरूआत के साथ ही नए गठबंधन बनने और पुराने बंधनों की गांठ खुलने का सियासी दौर शुरू हो गया है।जैसे जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे ही ‘आया राम-गया राम’ के लिए प्रख्यात हरियाणा प्रदेश में गठबंधनों के सियासी...

सिरसा(संजय अरोड़ा): हरियाणा में चुनावी वर्ष की शुरूआत के साथ ही नए गठबंधन बनने और पुराने बंधनों की गांठ खुलने का सियासी दौर शुरू हो गया है।जैसे जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे ही ‘आया राम-गया राम’ के लिए प्रख्यात हरियाणा प्रदेश में गठबंधनों के सियासी समीकरण बनते व बिगड़ते भी नजर आ रहे हैं। शनिवार का दिन हरियाणा की सियासत में हलचल लिए रहा। 

बहुजन समाज पार्टी ने इनैलो से अपने 10 माह पुराने ‘पवित्र’ गठबंधन को वक्त की नजाकत का हवाला देकर न केवल आज तोडऩे का ऐलान कर दिया बल्कि आज ही हरियाणा की सियासी जमीं पर नए गठबंधन का जन्म भी हो गया। इस नए गठबंधन में बसपा ने एक ऐसे राजनीतिक दल के साथ नया रिश्ता जोड़ा है जो मात्र पांच माह पूर्व ही अस्तित्व में आया है। बसपा ने सांसद राजकुमार सैनी के नेतृत्व वाली लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से चुनावी गठबंधन करते हुए सीटों तक का भी फैसला कर लिया है। इस नए गठबंधन के तहत बसपा 8 संसदीय व लोसुपा 2 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि विधानसभा में लोसुपा 55 व बसपा 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि जिस तरह से इनैलो से गठबंधन तोड़ते हुए बसपा ने लोसुपा से गठबंधन करके आज ही सीटों का ऐलान कर दिया, उससे जाहिर है कि दोनों दलों द्वारा गठबंधन को लेकर जींद उपचुनाव परिणाम आने के बाद से ही वर्कआऊट चल रहा था। 


भाजपा व शिअद में भी गठबंधन की चर्चाएं
पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भाजपा व शिरोमणि अकाली दल के बीच गठबंधन की चर्चाएं इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी तेजी से छिड़ी हुई हैं। यहां तक कि सोशल मीडिया पर दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे तक की सूचनाएं अदान-प्रदान की जा रही हैं। हालांकि भाजपा या अकाली दल की ओर से अभी तक आधिकारिक तौर पर इस प्रकार के गठबंधन को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है मगर इनैलो से राजनीतिक संबंध विच्छेद होने के बाद शिअद द्वारा हरियाणा में पहली बार अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान जरूर किया गया है। यही नहीं हरियाणा से शिअद के एक मात्र विधायक बलकौर सिंह व पार्टी के नेता वीरभान मेहता को शिअद का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बना दिया गया है।

सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं के मुताबिक दोनों दलों के इस संभावित गठबंधन के तहत प्रदेश की दस संसदीय सीटों में से 8 पर भाजपा व 2 पर शिअद चुनाव लड़ सकता है जबकि हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से शिअद को 15 सीटें दी जा सकती हैं। जब इस गठबंधन को लेकर भाजपा के शीर्ष नेताओं से बात की गई तो उन्होंने गठबंधन की संभावनाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा की राजनीतिक परिस्थितियां काफी भिन्न हैं, ऐसे में हरियाणा में भाजपा व शिअद का गठबंधन बनना संभव नहीं है। अब देखना है कि इन दोनों दलों में चल रही गठबंधन की चर्चाओं पर गंभीरता से बात आगे बढ़ती है या फिर लगता है पूर्ण विराम। 


इन पर भी है निगाहें
चुनावी बिगुल बजने को है और ऐसे में हर सियासी दल अपने अपने स्तर पर बड़ी तैयारियों में जुटा हुआ है। इन्हीं तैयारियों के बीच अब माहौल गठबंधन बनाने तक का शुरू हो चुका है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि हरियाणा के क्षेत्रीय दलों पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की हरियाणा जन चेतना पार्टी व पूर्व मंत्री गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में किसके साथ अपने नए सियासी रिश्ते जोड़ती है, या फिर अकेले अपने दम पर चुनावी मैदान में कदम ताल करती है। सियासतदानों के साथ साथ पर्यवेक्षकों की भी इन दलों पर निगाहें हैं कि ये दल कितनी सीटों पर चुनावी दंगल में कूदते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों ही दलों ने पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा था। कांडा अकेले 80 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े थे जबकि विनोद शर्मा हजकां से गठबंधन के चलते कई सीटों पर चुनाव लड़े मगर कांडा व शर्मा दोनों खुद भी अपनी सीटें नहीं जीत पाए। 
 

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