मांगों को लेकर मजदूरों ने उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

Edited By Deepak Paul, Updated: 22 Jan, 2019 01:10 PM

memors delegation submitted to the deputy commissioner

ऑनलाइन के बहाने मजदूरों के हकों पर डाका डाला जा रहा है। प्रदेश सरकार कैबिनेट द्वारा पिछले दिनों सभी तरह की स्कीमों को ऑनलाइन किए जाने का मेहनतकश जनता पर बहुत बुरा असर पड़ा है...

सिरसा (ब्यूरो): ऑनलाइन के बहाने मजदूरों के हकों पर डाका डाला जा रहा है। प्रदेश सरकार कैबिनेट द्वारा पिछले दिनों सभी तरह की स्कीमों को ऑनलाइन किए जाने का मेहनतकश जनता पर बहुत बुरा असर पड़ा है। उक्त बात भवन निर्माण कामगार यूनियन के सदस्य राजेन्द्र पंजाब ने उपायुक्त को मांगों संबंधी ज्ञापन सौंपने के बाद मजदूरों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन के फैसले से निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड भी प्रभावित हुआ है। प्रदेश में लाखों मजदूर ऐसे हैं जिनका ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण और जिनका ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्ध है उनकी फीस बोर्ड में जमा होने के बाद भी अपडेट नहीं है जिस कारण कल्याण बोर्ड के लाभों से मजदूर वर्ग वंचित हो रहा है।

बोर्ड की ओर से मिलने वाली वजीफा राशि के लिए अंतिम तिथि 31 जनवरी है, लेकिन ज्यादातर निर्माण मजदूरों का रिकॉर्ड ऑनलाइन न होने के कारण वे मारे-मारे फिर रहे हैं, जबकि हरियाणा के भाजपा के मंत्रियों द्वारा अपने चहेतों को बोर्ड का दुरुपयोग करके ऑफलाइन के कार्य किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ  हरियाणा का निर्माण मजदूर धक्के खाने को मजबूर है जिसकी न सरकार सुन रही है और न ही निर्माण कल्याण बोर्ड के अधिकारी सुन रहे हैं। राज्य सरकार ऑनलाइन के निर्णय को यह कहकर बेहतर बता रही है कि इससे भ्रष्टाचार खत्म होगा व लोगों को समय पर सुविधा मिलेगी, जबकि हालत इसके बिल्कुल विपरीत है जिन मजदूरों ने 5-6 महीने पहले आवेदन किए थे उनको अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है।

कल्याण बोर्ड द्वारा ऑनलाइन किए जाने का कोई ढांचा खड़ा नहीं किया गया। निर्माण मजदूरों को बाजार के हवाले किया जा रहा है व निर्माण मजदूरों के लिए खुली लूट के अड्डे खोलने की छूट दी जा रही है। इससे से पहले भी कल्याण बोर्ड द्वारा ऑनलाइन किया गया था, जिसके चलते गैर निर्माण मजदूरों ने पंजीकरण के लिए आवेदन कर दिया व असल निर्माण मजदूर अभी तक धक्के खाने को मजबूर हैं। एक साल पहले ऑनलाइन पंजीकरण हुए मजदूरों को अभी तक कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि कल्याण बोर्ड द्वारा मजदूरों के पंजीकरण के लिए 90 दिन के कार्य की तसदीक का काम जो पहले यूनियनें करती थी। उस पर रोक लगा दी गई है जो सीधे तौर पर ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमला है।

कल्याण बोर्ड में करीब 2900 करोड़ रुपए जमा हैं लेकिन इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा सरकार मजदूरों पर न खर्च करके अपने राजनीतिक लाभ पर खर्च कर रही है। मांगों को लेकर उपायुक्त को मजदूरों ने ज्ञापन भी सौंपा। उपायुक्त ने मजदूरों को आश्वासन दिया कि बोर्ड के अधिकारी को यह मांग पत्र भेजकर इसका जवाब मांगेंगे और जो भी होगा उसका वह आपको बता देंगे। मजदूरों ने कहा कि अगर इस समस्या का कोई हल नहीं हुआ तो उनकी यूनियन द्वारा यह निर्णय लिया है कि 25 जनवरी को रानियां में आ रहे श्रम मंत्री नायब सिंह सैनी का विरोध करेंगे।

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