आधुनिकीकरण के दौर में मशीनीकरण ने पकड़ा जोर

Edited By Pooja Saini, Updated: 19 Jun, 2019 03:08 PM

mechanization caught in the era of modernization

कृषि में हो रहे आधुनिकीकरण के दौर में किसानों ने कृषि कार्य को मशीनीकरण में बदलना शुरू कर दिया है। इसमें...

रानियां(दीपक): कृषि में हो रहे आधुनिकीकरण के दौर में किसानों ने कृषि कार्य को मशीनीकरण में बदलना शुरू कर दिया है। इसमें मुख्य रूप से मजदूरों की समस्या व जल्द से जल्द फसल लेना प्रमुख माना जा रहा है।  इसी कड़ी में सिरसा जिले के रानियां कृषि परिमंडल के किसानों ने भी अब कृषि कार्यों में मशीनीकरण को अपनाना आरंभ कर दिया है। क्षेत्र में ट्रैक्टरों के साथ-साथ अन्य कृषि यंत्रों का प्रयोग तेजी से बढ़ गया है।
 
10 वर्षों में ट्रैक्टरों की संख्या में हुआ इजाफा
वर्णनीय है कि रानियां परिमंडल क्षेत्र में बीते 10 वर्षों में ही कृषि कार्य के लिए टै्रक्टरों का प्रयोग बढ़ा है। कृषि कार्य में काम आने वाले टै्रक्टरों के उनकी हार्सपावर के मद्देनजर 3 वर्गों में बांटा गया है। इसमें प्रथम वर्ग में कम हार्सपावर के ट्रैक्टर जोकि 20 हार्सपावर या इनसे कम हों, को रखा गया है। जबकि टै्रक्टरों के दूसरे वर्ग व मध्यम वर्ग में 21 हार्सपावर से 35 हार्सपावर के टै्रक्टरों को रखा गया है। जबकि टै्रक्टरों का तीसरा वर्ग 35 हार्सपावर से अधिक का है चूंकि रानियां क्षेत्र को धान बैल्ट के रूप में जाना जाता है और ऐसे में 20 हार्सपावर से कम पावर वाले टै्रक्टरों की संख्या में काफी कमी आई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 1999 से अब तक इस परिमंडल क्षेत्र में 20 हार्सपावर से कम पावर वाले वर्ग में टै्रक्टरों की संख्या में कमी आई है। जबकि वर्ष 1999 में रानियां परिमंडल क्षेत्र में ट्रैक्टरों की संख्या 773 थी मगर यह संख्या अब घटकर 528 रह गई है। मध्यम वर्ग वाले टै्रक्टर 21 से 35 हॉर्सपावर की संख्या में बढ़ौतरी हुई है। इस वर्ग में 1999 में 679 ट्रैक्टर थे जो अब बढ़कर 998 हो गए है।

35 अश्वशक्ति से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टरों की संख्या में 70 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस वर्ग में 1999 में जहां 300 ट्रैक्टर थे अब वर्ष  2009  में ये संख्या बढ़कर 928 हो गई थी। वर्ष 2013 में 2000 का आंकड़ा पर कर गई है। अब वर्ष 2013 से लेकर 2019 तक टै्रक्टरों की संख्या 8000 तक बढ़ गई है। 

समय के साथ आई तबदीली
कृषि कार्य करने के लिए पहले किसान पुराने यंत्रों का प्रयोग करते थे, लेकिन अब इन यंत्रों की जगह आधुनिक यंत्रों ने ले ली है। ये सभी यंत्र ट्रैक्टरों के साथ जुड़कर कार्य करते हैं। कृषि यंत्र विक्रेता वीर सिंह जोसन का कहना है कि समय के बदलाव के साथ कृषि कार्यों में भी तबदीली आई है। अब पुराने यंत्रों की जगह नए उपकरणों ने ले ली है।

जिसमें से लेजर लैंड लैवलर जो भूमि को समतल करने के लिए, रोटावेटर मिट्टी को बारीक करने के लिए, हैप्पी सीडर धान की पराली में सीधी बिजाई करने के लिए व फसलों के अवशेष को जमीन में नष्ट करने के लिए, जीरो टिल फीड सीधी बिजाई करने के लिए, स्ट्रा रीपर फसलों के अवशेष से तूड़ी बनाने के लिए, स्ट्रा पैडी चोपर धान की पराली को बारीक टुकड़े कर उन्हें जमीन में बिखरने के लिए, पावर व ट्रैक्टर मांऊटेन स्प्रेयर का प्रयोग पहले से अधिक संख्या में किया जा रहा है। वीर सिंह जोसन का कहना है कि आज के किसान जागरूक व पढ़े लिखे हैं वे कम लागत में नित नए-नए प्रयोग कर कृषि कार्यों को ओर अधिक सरल बना रहे हैं।  

कृषि कार्यों में शीघ्रता के लिए बढ़ा प्रयोग
ट्रैक्ट्ररों व आधुनिक मशीनों की संख्या बढऩे का मूल कारण किसानों द्वारा कृषि कार्यों को शीघ्रता से पूरा करना तथा सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए आसानी से उपलब्ध हो सकने वाला लोन भी है। पहले बैलों की सहायता से कृषि कार्यों को अंजाम देने में किसानों को अधिक मेहनत करनी पड़ती थी, मगर अब शारीरिक मेहनत कम हो गई है। इसके अलावा समय भी बहुत कम लगता है। क्योंकि अब जब ट्रैक्टरों की सहायता से कृषि कार्य आसान हो गए है।

इस संदर्भ में किसान कुलदीप सिंह, संजय न्यौल, सुखदेव सिंह कका, हरदेव सिंह, संदीप सिंह, अमोलक सिंह, जगदीप सिंह, शमशेर सिंह, गुरदेव सिंह, विरेन्द्र सिंह, निर्मल सिंह व नरेश कालड़ा ने बताया कि आज के इस आधुनिक युग में फसल की बिजाई लेकर कटाई तक कार्य ट्रैक्टर से होने लग गया है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि रानियां कृषि परिमंडल क्षेत्र में टै्रक्टरों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। 

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