Edited By Rakhi Yadav, Updated: 10 Dec, 2018 01:16 PM
अतिक्रमण को लेकर नगरपरिषद द्वारा छोड़े गए ‘तीर’ कभी भी अपने ‘लक्ष्य’ को भेद नहीं पाए। हर बार नतीजा सिफर ही रहता है। इसके मुख्य रूप से 2 ही कारण हैं। या तो लक्ष्य साधने वाले में समर्पण की भावना....
सिरसा(माहेश्वरी): अतिक्रमण को लेकर नगरपरिषद द्वारा छोड़े गए ‘तीर’ कभी भी अपने ‘लक्ष्य’ को भेद नहीं पाए। हर बार नतीजा सिफर ही रहता है। इसके मुख्य रूप से 2 ही कारण हैं। या तो लक्ष्य साधने वाले में समर्पण की भावना नहीं है अथवा सामने वाला उससे ज्यादा होशियार है। यही वजह है कि शहर से अतिक्रमण का कोढ़ खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। दरअसल, अतिक्रमण शहर की प्रमुख समस्याओं में से एक है। अतिक्रमण ने न केवल शहर के स्वरूप को बिगाड़कर रख दिया है, बल्कि यातायात की गाड़ी को भी पटरी से उतार दिया है।
रह-रहकर बाजारों में जाम लगते हैं। ऐसा नहीं है कि नगरपरिषद ने कभी हाथ-पैर नहीं हिलाए। समय-समय पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है। अभियान के तहत नगरपरिषद दस्ता ट्रैफिक पुलिस को साथ लेकर बाजारों में निकलता है। दुकानों के बाहर निर्धारित सीमा से आगे रखा सामान कब्जे में ले लिया जाता है। विशेष बात यह है कि अभियान के दौरान मुख्य बाजारों पर ही फोकस रखा जाता है। अन्य बाजारों में अतिक्रमण को छेड़ा तक नहीं जाता। इस बार भी नगरपरिषद का अतिक्रमण हटाओ अभियान भेदभाव की चादर लपेटे हुए है। करीब एक सप्ताह से न.प. टीम टैफिक पुलिस के संग अभियान चला रही है।
रोड़ी बाजार, सदर बाजार, गीता भवन रोड, आर्य समाज रोड, हिसारिया बाजार, सूरतगढिय़ा बाजार, सर्कुलर रोड आदि मुख्य बाजारों तक ही अभियान सीमित होकर रह गया है। न.प. ने 4 चौक, 8 गली को ही पूरा शहर समझ लिया है। शहर में अन्य भी ऐसे स्थान हैं जो अतिक्रमण की मार से कराह रहे हैं जिसकी तरफ न तो नगरपरिषद के अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने ध्यान दिया और न ही ट्रैफिक पुलिस ने कोई कदम बढ़ाया।