Edited By Deepak Paul, Updated: 18 Mar, 2019 12:24 PM
स्कूली बच्चों और अभिभावकों को मकडज़ाल में फांसकर वारे-न्यारे करने के लिए शिक्षा...
सिरसा (माहेश्वरी): स्कूली बच्चों और अभिभावकों को मकडज़ाल में फांसकर वारे-न्यारे करने के लिए शिक्षा की दुकानें एक बार फिर सजकर तैयार होने लगी हैं। ऐसी दुकानें जिनके पास बिजनैस चलाने का लाइसैंस तक नहीं। बावजूद इसके बेखौफ व बेधड़क होकर दुकानें संचालित की जाती हैं। दरअसल, हर शैक्षणिक सत्र की शुरूआत से पहले शिक्षा विभाग बड़े लंबे चौड़े दावे करता है कि अवैध रूप से किसी भी स्कूल को नहीं चलने दिया जाएगा, इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी आदि आदि, परंतु विभागीय अधिकारी सिवाय कागजों का पेट भरने के अलावा कुछ नहीं करते। कथित सांठ-गांठ के चलते नियमों को ताक पर रखकर प्राइवेट स्कूल संचालित किए जाते हैं। इसका दंड बच्चों व अभिभावकों को भुगतना पड़ता है। इस बार भी बच्चों के भविष्य पर तलवार लटक रही है।
दरअसल, सिरसा सहित प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर गैर मान्यता प्राप्त स्कूल चल रहे हैं। शिक्षा विभाग के पास प्रदेश में मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों का आंकड़ा 10 हजार तक का है, जबकि एक संगठन की रिपोर्ट अनुसार यह संख्या करीब 15 हजार तक है। ऐसे में करीब 5 हजार स्कूल शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंककर अथवा मौन स्वीकृति से चल रहे हैं। मसलन निजी स्कूल को मान्यता 8वीं तक पढ़ाने की मिली हुई है, लेकिन स्कूल 9वीं से 10वीं कक्षा के लिए बच्चों को दाखिला दे देता है या मान्यता 10वीं तक की है, पर एडमिशन 12वीं तक किए जाते हैं।
सिरसा में ऐसे स्कूल काफी संख्या में हैं। दूसरा अनेक निजी स्कूलों ने एडजैस्टमैंट सिस्टम भी चला रखा है। मतलब यह कि ये स्कूल अपनी मान्यता से ऊपर की कक्षाओं में बच्चों का एडमिशन कर लेते हैं और इन बच्चों को दूसरे स्कूलों में एडजस्ट कर देते हैं। यह सब कार्रवाई की जद में आने से बचने के लिए किया जाता है। गत दिनों यमुनानगर में एक निजी स्कूल का ऐसा ही कृत्य सामने आया। शिक्षा बोर्ड ने 90 से ज्यादा बच्चों को रोल नंबर जारी नहीं किए। स्कूल के किए की सजा बच्चों को भुगतनी पड़ी। गोहाना में एक निजी स्कूल को बिना मान्यता 12वीं में दाखिला देने पर हाईकोर्ट ने 1 लाख का जुर्माना ठोका। सिरसा के अलावा रानियां, ऐलनाबाद, कालांवाली, डबवाली आदि क्षेत्रों में दर्जनों की संख्या में प्राइवेट स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं।
पेरैंटस एसोसिएशन के जिला प्रधान सौरव मेहता कहते हैं कि ऐसी स्थिति में अभिभावकों की जागरूकता बेहद जरूरी है। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों का दाखिला करवाते समय संबंधित स्कूल की मान्यता अवश्य जांच-परख लें। विश्वास की कसौटी पर अच्छे से परखने के बाद ही दाखिला करवाएं। अगर स्कूल के बिना मान्यता चलने का पता चलता है तो तुरंत शिक्षा विभाग अथवा जिला प्रशासन को सूचित करें ताकि अन्य बच्चों का भविष्य भी खराब न हो।