सरकार के ‘तंत्र’ में ‘उलझ’ गया विकास

Edited By Isha, Updated: 25 Jun, 2019 01:54 PM

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बेशक प्रदेश सरकार सबका साथ-सबका विकास के दावे करती है मगर सिरसा शहर में आकर ये दावे ‘दखल’ के चलते दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। नगर परिषद प्रशासनिक तंत्र के हस्तक्षेप के कारण इस कदर बेबस हो चुकी है कि गलियों के

सिरसा (भारद्वाज): बेशक प्रदेश सरकार सबका साथ-सबका विकास के दावे करती है मगर सिरसा शहर में आकर ये दावे ‘दखल’ के चलते दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। नगर परिषद प्रशासनिक तंत्र के हस्तक्षेप के कारण इस कदर बेबस हो चुकी है कि गलियों के निर्माण से सम्बंधित प्रपोजल तो कई तैयार कर लिए गए लेकिन हकीकत में ये सब ‘कागजों’ में उलझ कर रह गए हैं। इस मामले को लेकर जहां शहर के सभी पार्षद हैरत में हैं तो वहीं शहर की टूटी-फूटी गलियों के कारण शहरवासियों का भी रोष बढऩे लगा है। कहा जा रहा है कि अब जबकि विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और दो-तीन माह में आचार संहिता लग सकती है तो ऐसे में गलियों का निर्माण कार्य कब शुरू होगा। कई पार्षदों ने तो यह भी आरोप लगाया है कि भाजपा के स्थानीय नेता के दबाव के कारण ही शहर का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है और यही नहीं अपने चहेतों के एरिया में डी-प्लान के तहत काम करवाया जा रहा है जबकि शहर के अन्य क्षेत्रों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उधर, नगर परिषद के अधिकारी यह कहते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं कि फाइल डी.सी. साहब के पास है। 

यह है स्थिति
शहर के कुल 31 वार्डांे वाली इस नगर परिषद में तब से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं जब से भाजपा की ‘प्रधानगी’ भाजपा पार्षदों ने ही अन्य के साथ मिलकर ‘छीन’ ली। इसके बाद से पॉवर नियमानुसार परिषद के वाइस चेयरमैन एवं कांग्रेस समॢथत पार्षद के पास चली गई। 1 अगस्त, 2018 को भाजपा की पार्षद एवं परिषद की चेयरपर्सन शीला सहगल का तख्ता पलट कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक कोई भी चेयरपर्सन की कुर्सी पर विराजमान नहीं हो सका है। यह भी दो कारणों से तय नहीं हो पाया क्योंकि जहां शीला सहगल की ओर से अदालत में याचिका दायर कर दी गई तो वहीं अन्य भाजपाइयों में भी एक राय नहीं बन पाई लेकिन इस सबका असर शहर के विकास कार्यांे पर ही पड़ रहा है। शहर के अधिकांश वार्ड ऐसे हैं जहां पिछले कई साल से गलियों का निर्माण नहीं हुआ है। इसके अलावा बहुतेरी गलियां ऐसी हैं जो आजादी के बाद से अब तक बन नहीं पाई है। ऐसी ही गलियों में मोहंता गार्डन गली नंबर 4 स्थित 10 फुटी गली भी शामिल है। इसके अलावा शहर में आर.ओ सिस्टम वाले फिल्टर पानी के लिए विभिन्न वार्डांे में पाइप लाइन बिछाई गई। यह गलियां भी टूटी हुई अवस्था में है।

न जाने किसका है इंतजार : जैन
नगर पार्षद विकास जैन ने कहा कि उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही कि आखिर यह सब क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को शहर के विकास कार्य में बढ़ावा देना चाहिए मगर शहर उपेक्षा का दंश झेल रहा है। उधर, वार्ड पार्षद राजेश गुर्जर ने कहा कि सरकार द्वारा विकास के मामले में दोगला व्यवहार किया जा रहा है। सरकार द्वारा डी-प्लान के तहत अपने कुछ चहेतों के काम तो शुरू करवाए जा रहे हैं जबकि शहर के अन्य लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्षदों द्वारा शीघ्र ही उपायुक्त से पुन: मिलकर गलियों के टैंडर सम्बंधित मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। यदि फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो मजबूरन पार्षदों को आंदोलन की राह पकडऩी होगी।

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