महिलाओं ने जलघर के गेट पर जड़ा ताला

Edited By kamal, Updated: 14 Jun, 2019 01:19 PM

women locked at the entrance gate

महम शहर के क्षेत्र गांव सैमाण में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। पेयजल की समस्या से त्रस्त लोगों...

महम(प्रीत): महम शहर के क्षेत्र गांव सैमाण में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। पेयजल की समस्या से त्रस्त लोगों ने बृहस्पतिवार को महम रोड पर स्थित जलघर के गेट पर ताला जड़ दिया। ताला जडऩे की कार्रवाई में गांव की महिलाएं आगे रही जिन्हें पेयजल के लिए दोहरी प्रताडऩा का सामना करना पड़ता है। जलघर पर ताला लगाने की सूचना मिलने के बाद जलापूर्त विभाग के जे.ई. सुमित कुमार मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को शांत करवाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों के मौके पर नहीं आने तक ताला खोलने से इंकार कर दिया।

इसके चलते हुए एस.डी.ओ. नरेश गर्ग मौके पर पहुंचे। उन्होंने जल्द ही समस्या का समाधान करवाने का आश्वासन दिया। ग्रामीण महावीर, सुधीर, बारू राम, नीटू, पवन, बलराज, सावित्री, संतोष, कविता व भतेरी आदि ने बताया कि गांव में जमीनी पानी खारा होने के  कारण जलघर से आने वाले पानी से काम चलाना पड़ता है लेकिन पिछले 2 साल से जलापूर्त विभाग के लापरवाही के कारण महीने में एक बार पानी की सप्लाई दी जा रही है जिससे पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है।

कपड़े धोने व नहाने के लिए खेतों से पानी लाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 2 सालों में नहर से जलघर तक आने वाली पाइप लाइन की सफाई करवाने व लीकेज बंद करवाने के नाम पर लाखों खर्च किए जा चुके है। उसके बावजूद भी पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

जलघर खाली, 400 से 700 रुपए में टैंकर खरीदने को विवश लोग
सांपला (सोनू):
वाटर टैंकों में पानी खत्म होने पर ट्यूबवैलों से होने वाली पेयजल सप्लाई का दबाव बेहद कम हो गया है, इससे पानी की आपूर्त नहीं हो पा रही है। प्रैशर कम होने पर सभी घरों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कस्बे के लोग अब 400 रुपया प्रति टैंकर पानी खरीदने को मजबूर हैं। शहर में पानी की खपत डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। हर घर में कूलर से पानी की खपत बढ़ी है इसी प्रकार घरेलू कामकाज के इस्तेमाल में पानी की खपत बढ़ गई है। शहर मेें पानी की स्टोरेज क्षमता पर्याप्त न होने की वजह से पानी का संकट बना हुआ है।

5 दिन से जलघर के टैंक सूख पड़े हैं जबकि नहरों में पानी 26 जून को पहुंच रहा है ऐसे में लोगों के लिए एक-एक दिन मुश्किल बना हुआ है। लोग खेतों में बने ट्यूबवैल, हैंडपम्प, आर.ओ. वाटर के जरिए पानी की आपूर्त कर रहे हैं। टैंकरों से जो पानी डलवाया जा रहा है उसमें भी हल्का खारापन है। इस पानी में भी इतनी गुणवत्ता नहीं है। वाटर टैंकों में पानी खत्म होने पर जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर व गांव में बोरिंग ट्यूबवैल के जरिए पानी की आपूर्त कर रहा है।

करीब 12 बोरिंग ट्यूबवैल जलघर परिसर में ही हैं। यह ट्यूबवैल रोजाना 12-14 घंटे चलते हैं ऐसे में इनकी उठान क्षमता कमजोर पडऩे लगी है। इन ट्यूबवैल के जरिए कालोनियों में जाने वाली पेयजल लाइनों में प्रैशर नहीं बन पाता जिससे सभी घरों तक पानी नहीं पहुंच पाता। कस्बे एक दिन छोड़कर व गांव 3 दिन छोड़कर पानी की आपूर्त की जाती है।

लेकिन प्रैशर कम होने पर एक घंटा में लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता ऐसे मेें लोगों को पानी के टैंकर खरीदने पड़ रहे हैं। प्रति टैंकर 400 से 700 रुपए तक चुकाना पड़ रहा है जबकि विभाग भी 60 रुपया प्रति माह पेयजल बिल वसूल रहा है ऐसे में उपभोक्ताओं पर पेयजल के लिए दोहरी आथक मार पड़ रही है।

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