हरियाणा में नीतियां तो अच्छी बनती हैं लेकिन क्रियान्वयन का सिस्टम ठीक नहीं

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 11 Dec, 2018 10:14 AM

policies are good in haryana but the of implementation is not good

चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति डा. के.पी. सिंह का कहना है कि हमारे प्रदेश में नीतियां तो अच्छी बनती हैं लेकिन क्रियान्वयन का सिस्टम अच्छा न होने के कारण कम्पनियां दक्षिण ....

चंडीगढ़ (शुक्ल): चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति डा. के.पी. सिंह का कहना है कि हमारे प्रदेश में नीतियां तो अच्छी बनती हैं लेकिन क्रियान्वयन का सिस्टम अच्छा न होने के कारण कम्पनियां दक्षिण भारतीय राज्यों में चली जाती हैं, जहां उन्हें अच्छा औद्योगिक माहौल मिलता है और उनके काम भी जल्द होते हैं। डा. के.पी. सिंह ने यह बात आज यहां ‘टॉप सौ स्टेकहोल्डर्स एग्री मीट - 2018’ में किसानों की आमदनी को दोगुना करने के विषय पर चर्चा के दौरान कही। 

उनका कहना था कि ऐसी बहुत सी बातें हैं जिन्हें सुधारने से किसानों की आमदनी को दोगुना किया जा सकता है। खाद्यान्न के मामले में लगभग 40 फीसदी हम वेस्ट में फैंक देते हैं, जिसे रिसाइकिल करके बहुत सी चीजें बनाई जा सकती हैं और उससे किसानों को फायदा होगा। उनका कहना था कि ये बात सही है कि बहुत से किसान छोटे स्तर पर पैदावार करते हैं जिसकी मार्कीटिंग वे स्वयं नहीं कर सकते। उनके लिए गांवों के कलस्टर बनाकर मार्कीटिंग यूनिट्स तैयार की जानी चाहिए। 

ये मार्कीटिंग इकाइयां इन किसानों के उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने में मदद करेंगी। ये कलस्टर हर किस्म के छोटे उत्पादकों के लिए बनाए जा सकते हैं। डा. सिंह का कहना था कि इनपुट लागत को कम करने से भी आमदनी बढ़ेगी। मसलन, एक किलो धान की पैदावार में 4 से 5 हजार लीटर तक पानी लगता है, जो अपने आप में काफी भारी लागत है। यदि किसान दूसरी फसलों को खेतों में लगाएं तो पानी की लागत काफी कम हो सकतीहै। 

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