ड्रग्स के मकडज़ाल में उलझी मैडीकल सिटी

Edited By Isha, Updated: 26 Jul, 2019 01:27 PM

medical city engaging in drug maskals

न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एजुकेशन सिटी व मैडीकल सिटी के नाम से मशहूर रोहतक जिले में नशीली दवाइयों का गोरखधंधा तेजी से फलफूल रहा है। शहर अब नशे के सौदागरों का गढ़

रोहतक (किन्हा): न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एजुकेशन सिटी व मैडीकल सिटी के नाम से मशहूर रोहतक जिले में नशीली दवाइयों का गोरखधंधा तेजी से फलफूल रहा है। शहर अब नशे के सौदागरों का गढ़ बनता जा रहा है। ड्रग्स माफिया युवाओं की नशों को खोखला बनाकर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। ड्रग्स माफिया पहले तो युवाओं को नशे की लत लगाते हैं और फिर अपना काम निकलवाते हैं। यदि कोई युवा ड्रग्स माफियाओं का काम नहीं करता है तो युवक के साथ न केवल मारपीट की जाती है बल्कि हत्या करने की भी आशंका प्रबल रहती है।

जिले के विभिन्न नशा मुक्ति केंद्रों व अन्य संस्थानों के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा रोहतक  के  युवा नशे की गिरफ्त में आ चुके  हैं, वहीं शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल और कालेजों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों पर नशे का प्रभाव अधिक दिखाई दे रहा है। प्रति वर्ष की बात की जाए, तो 5 साल में नशे के  आदी युवाओं की संख्या में 3 गुना तक वृद्धि हो चुकी है। मानसिक  तनाव को खत्म करने के  लिए युवा पीढ़ी शराब, अफीम, स्मैक , कोरेक्स, इंजैक्शन और नशे क ी गोलियों का सहारा ले रहे हैं। नशे के सौदागर पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए मल्टी लैवल मार्कीटिंग कंपनी की चेन की आड़ में काला कारोबार चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग भी नशीली दवाइयों पर पाबंदी लगा पाने में लाचार साबित हो रहा है। खानापूॢत के लिए कभी-कभार ड्रग्स कंट्रोलर टीम छापेमारी करती है लेकिन कुछ दिन बाद ही छापामारी अभियान भी ठंडा पड़ जाता है।  

युवा होते हैं टारगेट 
ड्रग्स तस्कर युवाओं को ही निशाना बनाते हैं। ड्रग्स तस्करों के गुर्गे शिक्षण संस्थाओं के आसपास चक्कर काटते रहते हैं और अधिक से अधिक युवाओं को अपने जाल में फांसने की कोशिश करते हैं। युवाओं से पहले दोस्ती करते हैं और धीरे-धीरे उनको नशे के नर्क में धकेलते हैं। नशीले पदार्थों को सिगरेट में भर युवाओं को पिलाई जाती है। पहले यह सेवा फ्री होती है और जब युवक को नशे की लत लग जाती है तो उसे अपना अड्डा दिखा मोटी रकम ले मादक पदार्थ दिए जाते हैं।

क्या कहते हंै विशेषज्ञ
ड्रग्स विशेषज्ञ डा. कुलदीप सिंह ने बताया कि नशीले पदार्थों के कारोबार में गरीब और बेसहारा बच्चों को इस्तेमाल किया जाता है।
 पहले उनमें नशे की लत लगाई जाती है फिर उनको मादक पदार्थों की तस्करी में लगाया जाता है। स्कूलों के आसपास नशे के सौदागर सक्रिय रहते हैं और बच्चों को नशे की ओर आकॢषत करते हैं। टीचरों को स्कूल के आसपास नजर रखनी चाहिए और मादक पदार्थों को बेचने वालों के खिलाफ  कार्रवाई करवानी चाहिए। पुराने बस स्टैंड के पास करियाने की दुकान की आड़ में चरस व गांजा सप्लाई किया जाता है। दोपहर और शाम के समय ग्राहक दुकान पर आते हैं और कोडवर्ड में बात करते हैं जिससे किसी को शक न हो।

यहां-यहां बिकता है मौत का सामान
शहर के पुराना बस स्टैंड, कैंप, इंद्रा कालोनी, काठ मंडी बाजार, पी.जी.आई.एम.एस. क्षेत्र, शीला बाईपास, सोनीपत स्टैंड, हुडा कॉम्प्लैक्स, गोहाना अड्डा, किला रोड, रेलवे रोड, नया बस स्टैंड सहित अनेक जगह मैडीकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाइयां खुलेआम बेची जा रही हंै। यहीं नहीं शिक्षण संस्थानों के पास भी खुले में नशे का कारोबार होता है। युवाओं को उक्त क्षेत्रों में सुबह व दोपहर के समय बिना पर्ची के ही नशीली दवाइयां खरीदते हुए देखा जा सकता है। जबकि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

क्या है सजा का प्रावधान
वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि 20 एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत मादक पदार्थों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। यदि कमॢशयल मात्रा में नशीला पदार्थ पाया जाता है तो उस केस में उम्रकैद की सजा के अलावा जुर्माने का भी प्रावधान है। एन.डा.पी.एस. एक्ट 1985 के अधीन नशीले पदार्थों का व्यापार करने वालों और उनके संबंधियों, सहयोगियों की भी संपत्ति जब्त की जा सकती है। इसमें भूमि, मकान, वाहन, कंपनियां, बैक खाते, नियत जमा आदि शामिल हंै।
 

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